कर्नाटक में इस समय सत्ता के लिए जबरदस्त नाटक चल रहा है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी और आनन-फानन में बने कांग्रेस व जेडीएस गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। भाजपा कर्नाटक चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन 224 सदस्यीय विधानसभा में जादुई आंकड़ा हासिल करने में विफल रही। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के आंकड़े के मुताबिक, भाजपा 104 सीटों पर कब्जा कर सकी जो कि बहुमत से 8 सीट कम है। इस बीच सूत्रों से खबर है कि राज्यपाल जल्द ही भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे। इस बीच बसपा के इकलौते विधायक का सम्पर्क भाजपा से बताया जा रहा है।
कर्नाटक में खुला बसपा का खाता :
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के पहले जनता दल (सेक्युलर) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में गठजोड़ का मायावती की पार्टी को फायदा हुआ है। नतीजों में बसपा राज्य की कोल्लेगल विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही है। 25 सालों के बाद बसपा कर्नाटक में कोई सीट जीत सकी है। इस गठजोड़ के चलते ही एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी ने भारतीय जनता पार्टी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।
2018 के विधानसभा के आये नतीजों में भाजपा बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। बसपा ने एन महेश के रूप में कर्नाटक का पहला विधायक पाया है। बसपा राज्य में आखिरी बार 1994 में जीती थी जब उसने बीदर पर कब्जा किया था। इसी सीट पर 1 मई को पीएम मोदी आए थे और राहुल गांधी पर हमला बोला था।
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भाजपा के सम्पर्क में है विधायक :
कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी भाजपा जादुई आंकड़े 112 से दूर रह गयी है। सत्ता में आने के लिए भाजपा हर तरह के जोड़-तोड़ करने में जुटी हुई है। कहा जा रहा है कि भाजपा के संपर्क में कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायक हैं जो पाला बदल सकते हैं। इसके अलावा भाजपा नेताओं ने समर्थन देने के लिए बसपा के एकमात्र विधायक एन महेश से भी संपर्क किया है। बसपा हमेशा से भाजपा से गठबंधन का विरोध करती आयी है। इसी शर्त पर बसपा ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन किया था। अब यदि बसपा विधायक ने भाजपा का साथ दिया तो मायावती के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।