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फिरोजाबाद: पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं रखेंगी निर्जला करवा चौथ व्रत

karva chauth

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इस बार 12 साल बाद ऐसा महासंयोग बन रहा कि व्रत रोहणी नक्षत्र एवं स्थिर लग्न वृषभ, वृश्चिक की बृहस्पति, दिन शनिवार को चंद्र दर्शन होंगे। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष श्री गणेश-करवा चौथ महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी। करवाचौथ के व्रत से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि मान-सम्मान, लक्ष्मी की वृद्धि, दीर्घायु आदि की पूरी प्राप्ति होती है।

करवा चौथ ब्रत में किसकी होती है पूजा :

सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता-पार्वती और कार्तिकेय और भगवान गणेश जी की पूजा करके कथा सुनती हैं। आरती के बाद अपने व्रत को चंद्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं।

करवाचौथ में इन पूजन सामग्री का करें इस्तेमाल :

करवा, सीके-6, रोली, सिंदूर, हल्दी, चावल, पुष्प, मिष्ठान, कपूर, अगरबत्ती, शुद्ध घी का दीपक, कलावा, दूर्वा, शुद्ध जल का भरा हुआ कलश, घर में बने पकवान आदि की पूजा की जाती है। पूजा के पश्चात सुहागिन महिलाएं छलनी से चंद्रमा दर्शन के साथ पति के दर्शन करती हैं। पति के हाथों से ही जल और फल ग्रहण होते ही व्रत का समापन माना जाता है।

इस बार का करवा चौथ कुछ मायनों में पहले के करवा चौथों से अलग और खास है। वजह है इस बार बन रहा अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग। पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि ये योग 27 साल बाद बन रहा है। ये दुर्लभ योग इस बार को करवा चौथ के व्रत और त्योहार को बेहद खास बनाएगा। व्रत रखने के लिए यह उपयुक्त दिन होगा।

16 साल आएगा ख़ास संयोग :

करवा चौथ पर अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि का विशेष संयोग बन रहा है। इसके बाद 16 साल बाद ये संयोग आएगा। इससे पहले यह संयोग 1991 में बना था। ऐसे में इस बार का करवा चौथ बेहद खास होने वाला है। सालों बाद व्रती महिलाओं को विशेष फल मिलने वाला है।

करवा चौथ मुहूर्त :

महिलाओं के त्यौहार करवा चौथ पर महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। करवा चौथ मुहूर्त करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 5:40 से 6:47 तक करवा चौथ चंद्रोदय समय 7 बजकर 55 मिनट

करवा चौथ के व्रत में छलनी का क्या महत्व है ?

करवाचौथ के दिन पूजा में महिलाएं सभी सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती है। करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी में से देखकर पूरा करती हैं। शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं लेकिन कभी सोचा है पति और चांद दोनों को छलनी से ही क्यों देखा जाता है? इसके पीछे की आखिर वजह क्या है

महिलाएं चांद और पति को क्यों देखती हैं छलनी से :

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।

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