प्रदेश में बीजेपी की सरकार बने 10 महीने होने को जा रहे हैं लेकिन अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की ख़बरें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. डॉक्टर्स की कमी का हवाला देना अब यहाँ आम बात हो गई है. कासगंज अस्पताल की बदहाली की कहानी यहीं नहीं ख़त्म होती है. इन्ही के पीछे CMO और CMS भी छिपते दिखाई देते हैं.

कासगंज अस्पताल में बदहाली का आलम

जिला चिकित्सालय में मिलने वाली स्वास्थ सेवा की पोल खुलती हुई दिखाई दे रही है. यहां मिलने वाली स्वास्थ सेवा पलीता लगता हुआ दिख रहा है. आपको बतादें एक लंबे अरसे से कासगंज जनपद के जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी चल रही जिस कमी के कारण यहां तैनात सीएमओ सीएमस को भी यह जवाब सा रट गया है. सब अपनी अपनी जिम्मेदारी से इस तरह के कैमरे पर न बोलते हुए यही बयान देना उचित समझते है. जनता को इस जिला अस्पताल का कोई लाभ मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. जमीनी हकीकत ये है कि इस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सेंटर का कोई पहला मामला नही इससे पूर्व में भी तैनात डॉक्टर काफी दबंग थे वो उनका भी आम जनता के प्रति व्यवहार सही नही था और आज भी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर लगा ताला पूरे सिस्टम की पोल खोल रहा है.

CMO तक दे रहे हैं रटा-रटाया जवाब

दूर दराज से आये मरीजो मायूस होकर बेरंग वापस लौटना पड़ा रहा. सीएमओ और सीएमस से जब इस पूरे मामले पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि तैनात डॉक्टर अभी छुट्टी पर गए हुए है और जो डॉक्टर हमे यहां के लिए मिले है वो यहां ज्वाइन करना जरूरी नही समझ रहे है. अब देखने वाली बात होगी कासगंज जिला अस्पताल की स्वास्थ सेवा कब तक अपने बदहाली के आंसू बहाती रहेगी. क्या यहां की स्वास्थ्य सेवा सुधरेगी या ऐसी ही चलती रहेगी?

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