राजधानी लखनऊ स्थित यूपी प्रेस क्लब में सोमवार को दलित विचारक पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने कासगंज हिंसा को लेकर भाजपा सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कासगंज की हिंसा को लेकर जमीनी स्तर पर पड़ताल के बाद पत्रकारों को हालत के बारे में बताते हुए कहा कि कासगंज में पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है। मुसलमानों को पुलिस प्रताड़ित कर रही है। लेकिन हिंसा के मुख्य आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कासगंज हिंसा की जुडिशियल और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मैंने फैक्ट फाइंडिंग टीम के साथ कासगंज जा कर सलीम के मकान में ताले लगवाए हैं ताकि अग्रिम लूट तथा नुकसान को रोका जा सके।
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अनुमति लेकर कार्यक्रम कर रहे थे मुसलमान
उन्होंने बताया कि फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला कि 26 जनवरी को पूरे देश में गणतंत्र दिवस का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था। इस दौरान कासगंज में भी मुसलमानों ने अनुमति लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान मोटरसाइकिल पर सवार हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ता जहां पर कार्यक्रम हो रहा था उधर से मोटरसाइकिल लेकर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। कार्यक्रम स्थल पर कुर्सियां व अन्य सामान पड़ा था। इस पर मुसलमानों ने आग्रह किया कि आप किसी दूसरे रास्ते से निकल जाइए, क्योंकि जिस जगह से वे लोग निकल रहे थे उधर कुर्सियां वगैरह पड़ी थीं। लेकिन सीएम योगी के नेतृत्व वाली युवा वाहिनी के कार्यकर्ता नहीं माने और धक्का-मुक्की करके बवाल करने लगे। बवाल के दौरान ही उनकी मोटरसाइकिलें वहीं पर छूट गई।
दूसरे रास्ते में हुआ था पथराव
इस दौरान कोई पथराव वगैरह नहीं हुआ था। इस दौरान पता चला कि हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ता ग्रुपिंग करके दूसरी जगह अब्दुल हमीद चौराहा, बड्डूपुर चौराहा और तहसील रोड पर सड़क पर बवाल और आगजनी करने लगे और फायरिंग कर रहे थे। इस दौरान चौराहा पर स्थित की छुट्टी होने वाली थी और वहां पर हिंदू और मुसलमान अपने बच्चों को लेने के लिए गए हुए थे। तिरंगा यात्रा निकालने वाले लोग फायरिंग कर रहे थे। इस दौरान दहशत से बच्चों को कोई क्षति ना पहुंचे इसलिए हिंदू मुसलमान के लोगों ने युवकों पर पथराव किया, ताकि यह लोग बच्चों की तरफ ना जाएं और बच्चे सही सलामत रहें।
घटना के 14 घंटे बाद दर्ज की गई एफआरईआर
इस दौरान मौके पर पहुंची पुलिस ने फायरिंग करके भीड़ को काबू में किया। आरोप है कि घटना 26 जनवरी को सुबह 10:30 बजे की है, लेकिन पुलिस ने 14 घंटे बाद चंदन के भाई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया। तहरीर में आरोप लगाया गया कि स्कूल के सामने सलीम का घर है। वहां से गोली चलाई गई जिसमें चंदन गुप्ता को लगी और पथराव में वह घायल हो गए जिन्हें कोतवाली लाया गया, यहां से अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
चंदन के नजदीक से मारी गई गोली
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया सलीम की गिरफ्तारी तो कर ली गई। लेकिन बताया जा रहा है कि चंदन को गोली सलीम के घर से नहीं बल्कि पास से मारी गई थी। उन्होंने बताया वह इसलिए कि चंदन को बाएं हाथ की तरफ गोली लगी थी। जिस जगह पर घटना हुई थी वहां से सलीम का घर 80 फुट की दूरी पर है। अगर सलीम के घर से गोली चलाई गई होती तो चंदन के जिस जगह पर गोली लगी है वहां पर गहरा घाव नहीं होता और ना ही जले का निशान होता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसी को पास से गोली मारी जाती है तो उसके जले का निशान बन जाता है और गहरा घाव होता है। इससे यह कहा जा सकता है कि चंदन को भीड़ में ही फायरिंग कर रहे उनके साथी की ही गोली लगी होगी। फिलहाल यह मामला जांच का विषय है।
केवल मुसलमानों को क्यों किया गया नामजद
उन्होंने बताया कि इस घटना में 40 मुसलमानों को नामजद किया गया है। एक मुकदमा चंदन के भाई की तरफ से लिखा गया है। जबकि दूसरा पुलिस की तरफ से लिखा गया। इस मामले में कुल पांच एफआईआर दर्ज की गईं। पुलिसवालों ने भी 4 मुसलमानों को नामजद किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कासगंज हिंसा में पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है। मुसलमानों को कट्टा, बंदूक, कारतूस, खोखे दिखा कर उनकी गिरफ्तारी की जा रही है।
देशी तमंचा कारतूस दिखाकर गिरफ्तार कर रही पुलिस
उन्होंने बताया कि सलीम के घर में लाइसेंसी बंदूक है, फिर भी कट्टा और कारतूस दिखा कर उसकी गिरफ्तारी की गई। आरोप है कि चंदन को पुलिस ने पहले हिरासत में ले लिया था। लेकिन पुलिस ने उसकी दबिश देकर गिरफ्तारी दिखाई गई। पूर्व आईपीएस ने बताया कि सलीम घटना का मुख्य आरोपी इसलिए बनाया गया क्योंकि उसका घर घटना स्थल से सामने है।
इतनी पुलिसफोर्स में कैसे पहुंचा तमंचा कारतूस
पूर्व आईपीएस ने बताया कि इतनी पुलिस फोर्स और दिन में कारतूस लेकर कोई कैसे जा सकता है। पुलिस एकतरफा कार्रवाई करके मुसलमानों को फंसा रही है और हिंदूवादी संगठन के लोगों पर कार्रवाई ना करते हुए केवल मुसलमानों को ही प्रताड़ित कर रही है।
मुसलमानों से एक-एक लाख की मांग कर रही पुलिस
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मुसलमानों को शांति भंग की धारा में भी जेल भेजा। लेकिन अब 1-1 लाख रुपए की डिमांड की जा रही है। मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके घर तोड़े जा रहे हैं। मुसलमानों के बच्चे स्कूल तक जाने से घबरा रहा हैं। दहशत के मारे लोग घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
मस्जिद को भी गुंडों ने तोड़ दिया
एसआर दारा सिंह ने बताया कि पुलिस ने सलीम का घर भी तोड़ा लूटपाट की। इसके बाद एक फरवरी को क्षेत्र की एक मस्जिद को तोड़ दिया गया। आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी में कुछ लोगों ने मस्जिद को तोड़ दिया। इस मस्जिद को दोबारा बनवा दिया गया।
भाजपा की दंगा नीति अपना रहे हिंदूवादी संगठन
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदूवादी संगठन दंगे को भड़काने की साजिश कर रहे हैं। यह हिंसा पूर्व नियोजित थी। उन्होंने बताया कि भाजपा की दंगा भड़काने की नीति पहले से ही है और इसीलिए हिंदूवादी संगठन इस हिंसा को और भड़का रहे हैं। सोमवार को भी कुछ इलाकों में आगजनी की घटना प्रकाश में आई। पूर्व आईपीएस ने घटना की विवेचना जुडिशल और सीबीआई जांच करवाने की मांग की है।
सलीम के घर पुलिस ने की लूट
उन्होंने बताया कि कासगंज में दंगे के आरोपी सलीम और उसके दो भाइयों की गिरफ्तारी के संबंध में पुलिस ने इनके घर पर दबिश दी थी। सलीम को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस द्वारा उनके घर के समान की लूट तथा तोड़फोड़ की गई। घर पर दबिश के दौरान घर के ताले/दरवाजे आदि तोड़ने के बाद पुलिस ने घर की सुरक्षा के लिए कोई भी इन्तज़ाम नहीं किया। जिस कारण बाद में घर मे लूट आदि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस प्रकार सामान की जो भी तोड़फोड़ एवं लूटपाट हुई है उसके लिए पुलिस पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।
पुलिस को घर लूटने और तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं
उन्होंने बताया कि कानून के अनुसार, पुलिस को गिरफ्तारी के लिए घर मे प्रवेश का अधिकार है। परंतु लूटने तथा तोड़फोड़ करने का कोई अधिकार नहीं है। इस मामले में सलीम के घर के सदस्यों के उपलब्ध होने पर लूटी गई तथा तोड़े गए समान का विवरण एवं कीमत पता करने के बाद पुलिस के खिलाफ हर्जाने के लिए मानवाधिकार आयोग तथा न्यायालय में केस डाला जाएगा। यह लूट तथा तोड़फोड़ पुलिस की मुस्लिम विरोधी मानसिकता तथा गैर कानूनी कार्रवाही की प्रतीक है।