कठेरिया को विपक्ष में यूपीए सरकार को घेरने का मिला भरपूर मौका
देश में लोकसभा चुनावो का बिगुल बज रहा है
- ऐसे में अब जनता के पाले में फिर से गेंद नजर आ रही है ।
- जनता ने बीते लोकसभा चुनावों में जिस तरह मोदी के विकास को चुनकर अपना प्रतिनिधि संसद में भेजा
- जिसके बाद अब 5 साल बीत जाने पर क्या मिला जनता को ?
- उनका प्रतिनिधि जनता की उम्मीदों पर खरा उतर सका या नही
- यह सवाल आज वर्ष 2019 के लोकसभा के नतीजों के लिए महत्वपूर्ण है
- चलिए आपको आज लेकर चलते है
- ताजनगरी आगरा जहां से सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया पिछले दो लोकसभा कार्यकाल से चुने हुए है ।
ऐसे में आगरा के अंदर आम जनता की क्या राय है इस पर पेश है यह रिपोर्ट –
प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया का आगरा लोकसभा सफर-
- वर्ष 2009 में पहली बार संसद में चुनकर पहुंचे कठेरिया को विपक्ष में बैठकर यूपीए सरकार को घेरने का भरपूर मौका मिला।
- राज्य में बसपा और सपा के ख़िलाफ़ विरोधी सुर अपनाते हुए सांसद कठेरिया ने अपने पहले कार्यकाल में चर्चित चर्बी कांड
- और टोरंट(विद्युत वितरण कम्पनी) के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला।
- जिसके बाद स्थानीय तौर पर कठेरिया का कद ज़रूर बढ़ा
- लेकिन उनके इतने विरोध के बावजूद इलाके से टोरंट की समस्या ख़त्म नहीं हुई।
- वर्ष 2014 में मोदी बयार में प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया ने पिछली जीत की तुलना में भारी मतों से जीत दर्ज की
- और ये जीत उनके साथ कई नई उपलब्धियां जोड़ती गयी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहले मन्त्रिमण्डल में कठेरिया को मानव संसाधन राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया।
- मन्त्रिमण्डल में फेरबदल के बाद कठेरिया को दलित आयोग यानी एससी एसएसटी आयोग का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
- केन्द्र में कठेरिया के लगातार बढ़ते कद के बाद कठेरिया का नाम
- उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चाओं में आया।
- हालांकि ये बात और है कि मैनपुरी में लोकसभा उपचुनावों में कठेरिया का कोई खास असर देखने को नही मिला ।
- हालांकि इस कार्यकाल में कठेरिया को उपलब्धि गिनाने के नाम पर कोई कजास आंकड़े उनके पास नही होते ।
कठेरिया और विवाद –
- प्रोफेसर राम शंकर कठेरिया जब से आगरा की राजनीतिक पटल पर सक्रिय हुए तभी से उनके साथ विवादों का संग रहा है
- जिस वक्त कठेरिया 2009 में आगरा लोकसभा से चुनकर संसद गए
- तभी से उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के प्रत्याशी कुंवर चंद वकील ने उनकी शैक्षणिक योग्यता और डिग्री पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
- ये मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा लेकिन वहाँ से कठेरिया को क्लीन चिट मिल गयी।
- इसके बाद कठेरिया पर विद्युत वितरण कम्पनी
- टोरंट के एक आला अधिकारी के साथ दफ्तर में घुसकर मार पीट करने का आरोप लगा।
- आगरा में एक हिंदूवादी नेता की हत्या के बाद कठेरिया के धर्म विशेष के खिलाफ उग्र भाषण को लेकर भी विरोधियों ने कठेरिया को बुरी तरह से घेरा।
- हालांकि विवादों से जुड़े रहे कठेरिया पर पार्टी हाईकमान और केंद्र सरकार का पूरा साथ रहा।
बीजेपी का दलित कार्ड-
- रामशंकर कठेरिया को बीजेपी का हाईकमान अब दलित चेहरे के तौर पर प्रदेश में दिखता है
- जिसके बाद ही कठेरिया का कद सरकार और पार्टी में लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दिया
- बीते विधानसभा चुनावों में आगरा की नौ विधानसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत पर कठेरिया का वर्किंग कार्ड गोल्डन कैटेगरी में आ गया।
- अब बीजेपी 2019 में भी कठेरिया को उत्तर प्रदेश में एक दलित चेहरे के तौर पर शीर्ष नेतृत्व के लिए प्रोजेक्ट कर रही है
- बाकी यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी लोकसभा चुनावों में माया का दलित खेमा
- और अखिलेश के समाजवाद और मुस्लिम गठजोड़ के बाद कठेरिया का दलित कार्ड कितना असरदार रहेगा।
जनता की नज़र में कठेरिया-
- संसद और पार्टी में रामशंकर कठेरिया कितने भी चमके हों लेकिन आपको अब दिखाते हैं
- कि कठेरिया के संसदीय क्षेत्र की जनता उनको लेकर क्या सोचती है और विकास के एजेंडे पर 10 में से कितने नम्बर देती है
[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”Up news” background=”” border=”” thumbright=”no” number=”6″ style=”grid” align=”none” displayby=”recent_posts” orderby=”random”]
- uttar Pradesh Hindi News से जुडी अन्य ख़बरों की जानकारी के लिए हमें फेसबुक पर ज्वाइन करें और ट्विटर पर फॉलो करें
- यूट्यूब चैनल (YouTube) को सब्सक्राइब करें