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केजीएमयू के डॉक्टर पर लगा प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन करने का आरोप

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के एक डॉक्टर पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप लगे हैं। यहां दिखाने आए मरीज को बेहतर इलाज का झांसा देकर निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां ऑपरेशन से हालत गंभीर होने पर उसे ट्रॉमा सेंटर में भेजा गया। कोमा में पहुंचे मरीज को देखकर परिजनों में आक्रोश छा गया। उन्होंने डॉक्टर के कारनामे को मीडिया के समक्ष उजागर किया। इसके बाद केजीएमयू प्रशासन मामले को दबाने के लिए शाम तक बयान बदलता रहा।

जानकारी के मुताबिक, बस्ती के शुकरौली निवासी बाबूलाल (51) मुंबई में पेपर कंपनी में काम करते थे। वहां पेट में दर्द होने पर डॉक्टरों को दिखाया, ऐसे में उन्हें किडनी में पथरी बताई गई। दिसंबर 2017 में घर आने पर उन्होंने केजीएमयू में दिखाने का फैसला किया। उनके पुत्र पंकज के मुताबिक पांच दिसंबर को ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया। इस दौरान भर्ती कर छह दिसंबर को स्टेंटिंग की गई। कुछ दिन इलाज के बाद यूरेथ्रा कैथेटर लगाकर डिस्चार्ज कर दिया। वहीं हालत बिगड़ने पर दोबारा फिर बाबूलाल को केजीएमयू में भर्ती कराया गया। पंकज का आरोप है कि डॉक्टर ने कहा कि दोनों किडनी का ऑपरेशन होगा। साथ ही उन्होंने गृहजनपद के बगल में संतकबीर नगर में एक निजी हॉस्पिटल में कम पैसे में बेहतर ऑपरेशन का झांसा दिया। ऐसे में पड़ोस में इलाज की सुविधा देख पिता बाबूलाल का ऑपरेशन संतकबीरनगर के निजी हॉस्पिटल में कराने के लिए घर के सभी परिजन राजी हो गए।

पांचवें दिन टांकों से आने लगा पानी

पंकज के मुताबिक अस्पताल से डिस्चार्ज होने के पांचवें दिन टांकों से पानी आने लगा। ऐसे में संतकबीर नगर के अस्पताल में दोबारा पहुंचने पर जल्द ठीक होने का हवाला दिया गया। राहत न मिलने पर केजीएमयू में डॉक्टर को फिर दिखाया तो स्टेंट डालने की बात कही।

ट्रॉमा में वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज

पंकज के मुताबिक पिता बाबूलाल की हालत गंभीर होने पर शनिवार को केजीएमयू में दिखाया। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने वार्ड में भर्ती कर इलाज किया। इसके बाद बेसुध हालत में ट्रॉमा सेंटर के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के आइसीयू में शिफ्ट कराया। यहां मरीज को वेंटीलेटर पर रखा गया है। संक्रमण की चपेट में आने से उन्हें सांस लेना भी दूभर है। पंकज ने गलत ऑपरेशन का आरोप लगाया है।

मुफ्त इलाज व जांच के आदेश के बाद झाड़ा पल्ला

कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने दोपहर में संस्थान के डॉक्टर द्वारा संतकबीर नगर के प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन करने का मामला संज्ञान में आने बात स्वीकार की। पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन का दावा किया। वहीं मरीज के मुफ्त इलाज के निर्देश भी दिए। जबकि शाम को प्रवक्ता डॉ. नरसिंह वर्मा द्वारा जारी प्रेस नोट में डॉक्टर के खिलाफ सारे आरोपों को निराधार बताया गया।

केजीएमयू प्रशासन ने पत्नी को बता दिया मानसिक रोगी

मामले में केजीएमयू प्रशासन ने शाम को मरीज के साले रामू, जीजा रामजन से चिट्ठी लिखवाई। इसमें बाबू लाल की पत्नी को भी मानसिक रोगी करार दे दिया गया। जानकारी के मुताबिक केजीएमयू प्रशासन ने मरीज को मुफ्त इलाज का झांसा देकर कागजों पर पक्ष में बयान लिखवाया।

पैसा वापस देने का झांसा दिया और मिटाए सबूत

पंकज ने बताया कि सोमवार को मामला मीडिया में आने के बाद संतकबीर नगर के निजी अस्पताल के लोगों ने ट्रॉमा सेंटर आकर संपर्क किया। उन्होंने कहा कि मरीज बाबूलाल जल्द ठीक हो जाएगा। तुम्हारा खर्च हुआ पैसा वापस कर दिया जाएगा, डॉक्टर व अस्पताल के खिलाफ कोई शिकायत न करो। वहीं आरोप है कि मरीज के इलाज से जुड़े सारे दस्तावेज जमा करा लिए गए। वहीं, निजी अस्पताल में ऑपरेशन व इलाज का ब्योरा गायब किया जा रहा है।

30 हजार उधार लेकर करा रहा इलाज

पंकज ने बताया कि पिता ही अकेले घर में कमाने वाले सदस्य हैं। वह अभी इंटर पास है। मेडिकल की पढ़ाई की तैयारी कर रहा है। पहले जहां निजी अस्पताल में 80 हजार ले लिए गए, वहीं अब ट्रॉमा में 30 हजार खर्च हो चुका है। रिश्तेदारों से उधार लेकर इलाज करवा रहा हूं।

ऑपरेशन इसके लिए 80 हजार वसूले

पंकज ने कहा कि पिता बाबू लाल को जनवरी 2018 के तीसरे सप्ताह में भर्ती कराया गया। यहां केजीएमयू के डॉक्टर ने ऑपरेशन किया। पहले जहां ऑपरेशन का खर्च 30 हजार बताया गया था, वहीं डिस्चार्ज होने तक 80 हजार रुपये वसूले गए। अस्पताल में करीब छह दिन तक भर्ती रखने के बाद बाबू लाल को डिस्चार्ज किया गया।

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