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KGMU में अब मरीज को बनवाना होगा इलाज के लिए हर बार नया पर्चा

राजधानी लखनऊ के किंग जोर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक नया फरमान जारी हुआ है. जिसके बाद अब डॉक्टर से मिलने के लिए मरीजों की जेब का खर्च भी बढ़ेगा. केजीएमयू के कुलपति के एक आदेश के बाद अब मरीज जितनी बार भी डॉक्टर के पास इलाज के लिए जायेंगे, हर बार एक नया पर्चा बनवाना पड़ेगा 

15 दिन की अवधि तक मानी होता था अब तक पर्चा:

शहर के किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज के कुलपति ने एक हैरान कर देने वाला आदेश जारी किया है. इस आदेश के बाद इलाज के लिए आने वाले मरीज हर बार एक नया पर्चा बनवायेंगे. बता दें कि सरकारी अस्पतालों में 1 रुपये का पर्चा बनता है . जिसकी अवधि 15 दिनों तक वैलिड रहती हैं. कोई भी मरीज इन 15 दिनों के भीतर अगर डॉक्टर के पास दोबारा जाता है तो उसे नया पर्चा नहीं बनवाना पड़ता है.

कुलपति का नया आदेश:

उसी पर्चे में उसका इलाज होता है. 15 दिन बाद उसे नया पर्चा बनवाना पड़ता है. लेकिन केजीएमयू के कुलपति मदन लाल ब्रम्हा भट्ट के इस नये नियम के बाद मरीज हर बार एक नया पर्चा बनवायेंगे. इस फैसले के बाद गरीब मरीजों पर खर्च बढ़ेगा. हालाँकि 1 रुपये का पर्चा भले ही महंगा न हो लेकिन गरीब मरीज के लिए हर बार एक रुपये खर्च करना आसान नहीं होता. इससे भी ज्यादा अगर कोई समस्या की बात है तो वो है समय की.

पर्चा बनवाने के लिए लगती हैं लम्बी लाईनें:

बता दें कि केजीएमयू में पर्चा बनवाने के लिए लंबी कतारें लगती हैं. जिसकी वजह से मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है. हालत ये होते है कि सैकड़ों की भीड़ एक साथ पर्चा बनवाने वाली खिड़की के सामने जुटी रहती है. ये सरकारी अस्पतालों की सबसे बड़ी मुसीबतों में से एक है. जिससे हर बार पर्चा बनवाने वाले मरीजों को बावस्ता होना पड़ता है.

अब कुलपति के आदेश के बाद मरीजों की भीड़ और बढ़ जाएगी. क्योंकि अस्पताल पहुंचा हर मरीज अभी तक हर बार पर्चा नहीं बनवाता था, पुराने पर्चे की समयावधि के आधार पर सीधे डॉक्टर के पास चला जाता था लेकिन अब हर बार हर मरीज को पर्चा बनवाने वाले नियम के बाद पहले से भी ज्यादा भीड़ का सामना करना पड़ेगा.

मरीजों का समय होगा बर्बाद:

इस वजह से मरीजों का काफी समय भी बर्बाद होगा. लाइन मे लगे मरीज घंटों पर्चा बनने में अपनी बारी आने का इंतज़ार करेंगे. वहीं इस कारण कई मरीज डॉक्टर तक भी नहीं पहुँच पाएंगे. इसका भी एक कारण हैं. पर्चा बनने का एक समय निर्धारित होता है. जिसके बाद पर्चा बनाने वाला कार्यलय बंद कर दिया जाता है.

भीड़ ज्यादा होने से शुरू में आये लोगों के पर्चे तो बन जायेंगे लेकिन लाइन में अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे कई मरीजों का पर्चा बनने से पहले ही कार्यालय बंद होने की भी नौबत आना लाज़मी है.

वहीं इसके अलावा भी डॉक्टर से मिलने में उनको समस्या आयेगी. क्योंकि कई डॉक्टर एक निर्धारित समय तक अपने कक्ष मे रहते है और इसके बाद अस्पताल के दौरे पर चले जाते हैं. पर्चा बनवा कर देर से पहुंचे मरीजों को डॉक्टर अपने कक्ष में न मिले ये भी सम्भावना होगी. जिसकी वजह से घंटों लाइन में लग कर इलाज के किये आये मरीजों को इलाज मिलेगा ही नहीं.

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