कहते हैं डॉक्टर भगवान् का रूप होते है, भगवान् को तो हम देख नहीं सकते लेकिन यहाँ उनके रूप में मौजूद डॉक्टर को हम देख सकते हैं और उनसे मिल सकते हैं. उनके साथ हमारी बड़ी उम्मीदे जुड़ी होती हैं. बड़ी सी बड़ी बीमारी रुपी परेशानी से डॉक्टर हमें आसानी से बाहर निकाल देते हैं लेकिन अगर डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी भूल जाये तो फिर क्या होगा ? यह बात अपने आप में एक सवालिया निशान खड़े करती है , मामला सूबे की राजधानी लखनऊ शहर का है जहाँ किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में आज कर्मचारियों और एमबीबीएस छात्रों के बीच मारपीट हो गयी. यह झड़प अगर मामूली होती तो कोई बात नहीं थी.
किसी संगठन में थोडा बहुत मन मुटाव हो जाना आम बात होती है,लेकिन यह झड़प इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि एक डॉक्टर ने अपनी रिवाल्वर निकाल ली और रिवाल्वर दिखाते हुए कर्मचारियों को डराने की कोशिश करने लगा. डॉ भी भड़क गए जिससे स्थिति और ज्यादा बिगड़ गयी. जब स्थिति बेकाबू होती दिखी तो कॉलेज प्रशासन ने पुलिस थाने जाकर एफआईआर दर्ज करवा दी. मौके पर पुलिस तो पंहुच गयी लेकिन मामला उसके भी कण्ट्रोल से बाहर था जिसके चलते कई थानों की पुलिस बुलानी पड़ी लेकिन जब फिर भी मामला शांत नहीं हुआ तो रैपिड एक्शन फाॅर्स यानि आरएऍफ़ बुलानी पड़ी. तब जाकर मामला कुछ काबू हुआ. लेकिन डॉक्टरों ने आज पूरे दिन कार्य बहिष्कार किये रहे , जिसका खामियाजा बेचारे निर्दोष मरीजो को भुगतना पड़ा और डॉक्टरों के अभाव में वो पूरा दिन तड़पते रहे.
कामकाज पूरी तरह रहा प्रभावित :
इस पूरे घटनाक्रम के चलते किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज का कार्यभार पूरी तरह से प्रभावित रहा. वहां दूर दराज से दिखाने आये लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मरीजो की परेशानिया समझने वाला कोई नहीं दिखा. वहीँ डॉक्टरों और कर्मचारियों के झड़प के बीच एक मासूम की जिन्दगी चली गयी. अयोध्या से दिखाने आई 13 महीने की लविका की मौत हो गयी जिसके बाद मामला और बिगड़ गया उसके माता पिता का तो रो रोकर बुरा हाल था. ओपीडी में तो किसी डॉ ने एक भी मरीज देखा ही नहीं यहाँ तक कि धरती के भगवान् कहे जाने वाले डॉ वार्ड में भर्ती मरीजो का हाल तक जानने नहीं गए. इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की स्थिति बहुत ख़राब दिखी कोई दर्द से कराह रहा था तो कोई बहुत ही बुरी स्थिति में था.
नहीं पसीजा किसी का दिल :
मरीजों की सहायता के लिए, उनका दर्द समझने वाला वहाँ कोई नहीं था. कई मरीज तो ऐसे थे जो बहुत सीरियस स्थिति में थे लेकिन धरती के भगवान् उनकी स्थिति को जानकार भी अनजान बने रहे और किसी को इतनी बुरी स्थिति में देखकर भी उनका दिल नहीं पसीज. मजबूरन उन्हें किसी दूसरे अस्पताल जाकर इलाज कराना पड़ा. पूरे दिन में अगर किसी को परेशानिया , जिन्दगी और मौत से जूझना पड़ा तो वो थे किंग जार्ज अस्पताल में दिखाने आये बेचारे निर्दोष मरीज और उनके परिजन जिनकी समस्या सुनने वाला वहां कोई नहीं था. ऐसे में सवाल उठता है कि वहां पर दिखाने आये बेचारे निर्दोष मरीजो क्या दोष था जिन्हें आज पूरे दिन समस्या और परेशानियों से गुजरना पड़ा.
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