कहते हैं नौनिहाल देश का भविष्य होते हैं लेकिन आगरा जिले के कुछ गांवो में इन्ही नौनिहालो को बारूद के ढेर पर बैठा दिया गया है। गांवों में बारूद की फसल तैयार की जा रही है। मासूम बच्चों से ये खतरनाक काम करवाया जा रहा है। जिस देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो और वहां देश के भविष्य बारूद के ढेर पर बैठकर बम-पटाखे बना रहे हो उनका खुद का क्या भविष्य होगा। ये वो सवाल है जो में आपके जेहन में लगातार उठेगा ।
क्या है पूरा मामला :
- आगरा जनपद के एत्मादपुर तहसील के अन्र्तगत घौर्रा, खरगा आदि गांवों में खुलेआम बारूद की फसल तैयार की जा रही है।
- दिवाली के लिए पटाखे और बम बेखौफ बनाये जा रहे हैं।
- इस मौत के कारोबार में हर उम्र के लोग लगे हुए हैं।
- अधिकांश रूप से बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है।
- बच्चे बम बनाने का काम करते हैं।
- बम बनाकर खेतों में उनको सुखाया जाता है।
- इसके बाद पैकिंग करके बाजारों में भेजा जाता है।
- बड़ी ही हैरत की बात है कि इस सबसे आगरा प्रशासन बेखबर है।
- प्रशासन को भनक तक नहीं लगती है कि एत्मापुर के गांवों में बारूद की खेती लहलहा रही है।
- जब यहां धमाके होते हैं तब प्रशासन की नींद टूटती है।
- आगरा के इन गांव में यह मौत का कारोबार नया नहीं है।
- यह कर्इ सालों से चला आ रहा है।
- बकायदा प्रशासन द्वारा सात लोगों को पटाखे बनान का लार्इसेंस भी दिया है।
- प्रशासन ने केवल सात लोगों को लार्इसेंस दिये हैं जबकि गांव के हर घर में पटाखे और बम तैयार की जा रही हैं।
- घर के सभी लोग इस कारोबार में लिप्त हैं।
महिलाएं भी हैं इस कारोबार में शामिल :
- महिलाएं खाना बनाने तथा पुरूष घर के बाहर के काम निपटाते हैं।
- कच्चा माल लाना पटाखे बेचने जाना आदि।
- इन परिस्थितियों में घर में बचते हैं मासूम बच्चे।
- इन बच्चों को पटाखे बनाने की जिम्मेदारी दे दी जाती है।
- बच्चे पटाखे बनाते हैं।
- बारूद बनाने से लेकर सुखाने तक सारा काम ये बच्चे कर लेते है।
- इनसे बात करने की कोशिश की गर्इ तो किसी हर किसी ने बात करने से इंकार कर दिया।
- इन बच्चों की सुरक्षा के यहां कोर्इ इंतजाम नहीं हैं।
- आग बुझाने के भी उपकरण तो है लेकिन नाकाफी हैं।
- पूरी तरह एक गांव का ही परिवेश है।
- खेलने कूदने और पढ़ने की उम्र में इन गांवों के मासूम बारूद से खेल रहे हैं।
- शिक्षा की बात करने पर इन बच्चों ने बताया कि उनके लिए तो यही शिक्षा है।
- पढ़ने लिखने के बाद नौकरी तो मिलती नहीं है।
- इस धंधे को सीखकर कम से कम अपना परिवार तो चला सकते हैं।
- बारूद के इस कारोबार में हर साल धमाके भी होते हैं।
- धमाके होने पर आगरा प्रशासन की फौज भी पहुंचती है।
- अब तक हुए हादसों में दर्जन बाहर लोगों की जाने भी चली गई है ।
- हादसे के दौरान जिले के सभी अधिकारी इन गांवो की ओर दौड़ लगा लेते हैं लेकिन कुछ दिन बाद सब कुछ भूल जाते हैं।
- फिर दुबारा से वहीं मौत का कारोबार शुरू हो जाता है।
- हालांकि पुलिस अधिकारी इस मामले में किसी तरह की लापरवाही न बरतने की बात कह रहे है
- आगरा के एसएसपी डॉ प्रीतिंदर सिंह ने बताया की अवैध पटाखा बनाने वालो के खिलाफ लगातार करवाई चल रही है।
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