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जानें क्या हैं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित नया कानून ।

New Law Proposed by Uttar Pradesh government

New Law Proposed by Uttar Pradesh government

जानें क्या हैं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित नया कानून ।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित नए कानून के मुताबिक, अगर कोई संतान अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखती है, तो उसे संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है। यह कानून बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस कानून के तहत, संपत्ति से बेदखली की प्रक्रिया निम्नलिखित होगी:

  • माता-पिता को एक शिकायत दर्ज करनी होगी कि उनकी संतान उनका ध्यान नहीं रख रही है।
  • शिकायत की जांच एसडीएम की अध्यक्षता में गठित ट्रिब्यूनल द्वारा की जाएगी।
  • अगर ट्रिब्यूनल पाता है कि शिकायत सही है, तो वह संपत्ति से बेदखली का आदेश दे सकता है।
  • आदेश के खिलाफ डीएम की अध्यक्षता में गठित अभिकरण में अपील की जा सकती है।

इस कानून के लागू होने से बुजुर्ग माता-पिता को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उनकी संपत्ति उनके बच्चों के द्वारा उनके हित में उपयोग की जाए। यह कानून उन बच्चों को भी एक सबक सिखाएगा जो अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखते हैं।

हालांकि, इस कानून के कुछ आलोचक भी हैं। उनका कहना है कि यह कानून बहुत सख्त है और इससे बच्चों के अधिकारों का हनन हो सकता है। वे यह भी कहते हैं कि इस कानून का इस्तेमाल गलत तरीके से भी किया जा सकता है।

आशा है कि सरकार इस कानून को लागू करते समय इन आलोचनाओं को ध्यान में रखेगी और इसे एक ऐसा कानून बनाएगी जो बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों की रक्षा करे और साथ ही बच्चों के अधिकारों का भी सम्मान करे।

यहां इस कानून के कुछ संभावित लाभ और नुकसान दिए गए हैं:

लाभ:

  • बुजुर्ग माता-पिता को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उनकी संपत्ति उनके हित में उपयोग की जाए।
  • बच्चों को यह एहसास होगा कि उन्हें अपने माता-पिता का ध्यान रखना चाहिए।
  • समाज में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बढ़ेगा।

नुकसान:

  • यह कानून बहुत सख्त हो सकता है और इससे बच्चों के अधिकारों का हनन हो सकता है।
  • इस कानून का इस्तेमाल गलत तरीके से भी किया जा सकता है।

कुल मिलाकर, यह एक ऐसा कानून है जो बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस कानून को लागू करते समय सरकार को इन आलोचनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और इसे एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जो बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों की रक्षा करे और साथ ही बच्चों के अधिकारों का भी सम्मान करे।

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