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गठबंधन के बाद जानिए सपा बसपा के लिए क्या होंगी चुनौतिया, चुनौतियों पर करना होगा गहन अध्यन

Know what will be the challenge for SP-BSP, after the coalition

Know what will be the challenge for SP-BSP, after the coalition

गठबंधन के बाद जानिए सपा बसपा के लिए क्या होंगी चुनौतिया,

चुनौतियों पर करना होगा गहन अध्यन

इस बार चुनावी जंग में अखिलेश व मायावती संग नजर आएंगे जैसा कि पिछले चुनाव में राहुल गांधी व अखिलेश साथ दिखे थे। चुनाव नतीजे इस बात की तस्दीक करते हैं कि इन दलों की मिलीजुली ताकत भाजपा की ताकत पर भारी पड़ सकती है। एक बार फिर नई सोशल इंजीनियरिंग के साथ यह दोनों पार्टियां भाजपा के खिलाफ आ रही हैं।  पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 71 सीटें तो जीत लीं लेकिन सपा-बसपा को मिला वोट प्रतिशत भी करीब उतना ही है जितना भाजपा को मिला था। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 312 सीटें जीत कर पूरे यूपी में परचम जरूर फैलाया लेकिन सपा-बसपा का वोट भाजपा से ज्यादा ही रहा।

इन दलों का वोट बैंक भाजपा के लिए है बड़े खतरे की घंटी

वही अगर देखा जाये तो सपा को बसपा का साथ मिलने का खासा फायदा होगा। चूंकि बसपा अपने दलित वोट आसानी से सहयोगी दल को शिफ्ट करा सकती है। फूलपुर व गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा ने इसी का लाभ लेते हुए भाजपा से यह दोनों सीटें छीन लीं और यही सपा बसपा गठजोड़ की ताकत का अहसास भाजपा को हुआ।  पर, भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शोहरत व मुख्यमंत्री के काम पर भरोसा है और वह पिछड़े व दलित वोटों को लुभाने की खासी कोशिश कर रही है। पर, इसके अलावा भी भाजपा को गठबंधन की काट के लिए कई जतन की जरूरत है। माना जा रहा है कि इन दलों का वोट बैंक (दलित, पिछड़ा व मुस्लिम) भाजपा के लिए बड़े खतरे की घंटी है।

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