आखिरकार कई दिनों से चल रहे हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद सीबीआई ने भाजपा के बलात्कारी विधायक कुलदीप सिंह सिंगर को लखनऊ पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने आरोपी विधायक को सुबह तड़के 4:00 बजे उसके इंदिरा नगर स्थित आवास से गिरफ्तार किया। इससे पहले लखनऊ पुलिस और सीबीआई की टीम खाक छानती रही लेकिन रेप के आरोप में फसा विधायक अंडरग्राउंड हो गया था। विधायक की गिरफ्तारी के बाद उसकी पैरवी में जुटे कई अफसर भी अब सीबीआई के रडार पर हैं। सीबीआई इन अफसरों के कॉल डिटेल खंगाल रही है। हालांकि भी सीबीआई की टीम कुलदीप सिंह सेंगर से पूछताछ कर रही है।
CBI की ऐतिहासिक कार्रवाई
गैंगरेप और हत्या के केस में फंसे विधायक के खिलाफ यूपी पुलिस ने भले ही घुटने टेक रखे हों लेकिन इस मामले में CBI ने ऐतिहासिक कार्रवाई करते हुए 20 घंटे के भीतर ही विधायक को धर दबोचा। लेकिन यूपी पुलिस विधायक को ऐसे बचा रही थी कि आरोपी विधायक पुलिस का मेहमान हो। शायद यही वजह थी कि विधायक अपने गुंडों के साथ एसएसपी आवास पर डंडे लाठियां लेकर पहुंचा और पुलिस खड़ी तमाशा देखती रही। लेकिन अभियोग पंजीकृत होने के बाद जैसे ही मामला सीबीआई को सौंपा गया तो सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू किया।
सुबह तड़के सीबीआई ने किया गिरफ्तार
सीबीआई के एसएसपी राघवेंद्र वत्स ने बताया कि टीम गुरुवार की शाम लखनऊ पहुंची थी। यहां एसएसपी दीपक कुमार के साथ मीटिंग कर योजना बनाई गई। रात में टीम ने विधायक के कई ठिकानों पर छापेमारी की लेकिन विधायक नहीं मिला। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि विधायक का नंबर बंद होने के चलते उसे ट्रेस कर पाना मुश्किल था। शुक्रवार सुबह तड़के करीब 4:30 बजे विधायक के इंदिरानगर स्थित आवास पर सीबीआई ने लखनऊ पुलिस की मदद से छापेमारी की और विधायक को धर दबोचा। विधायक के गिरफ्तार होने की सूचना मिलते ही उसकी पैरवी में जुटे रिश्तेदार भी घबरा गए।
मदद करने वाले अफसर भी राडार पर
सीबीआई की टीम सेंगर की मदद करने वाले अफसरों से भी पूछताछ कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने उन सभी अफसरों का ब्यौरा मांगा है जो सेंगर की मदद कर रहे थे। सीएबीआई की राडार पर आने का पता चलने के बाद अफसर भी बेचैन हैं। सूत्रों का कहना है कि मदद करने वाले अफसरों की कॉल डिटेल से लेकर मौजूदगी तक खंगाली जाएगी। इसके बाद सेंगर के मददगार कई पुलिस अफसर भी अरेस्ट हो सकते हैं।
राजा भैया के घर छिपा बैठा था आरोपी
सूत्रों के मुताबिक, कुलदीप राजाभैया के घर में छिपा बैठा था। वहां तक जाने की पुलिस की हिम्मत नहीं थी। पुलिस अधिकारियों के मानमनौवल के बाद भाजपा विधायक को लखनऊ पुलिस अपने साथ लाई। लखनऊ लाने के बाद विधायक को बीजेपी कार्यालय ले जाया गया। यहां एसएसपी दीपक कुमार और सीबीआई केअधिकारियों की मंत्रणा हुई। इसके बाद पुलिस और सीबीआई के अधिकारी एसएसपी आवास पर मीटिंग कर योजना बनाते रहे। जब सुबह तड़के सभी नींद की आगोश में थे उसे वक्त सुर्खियाँ बटोरने के लिए सीबीआई ने इंदिरानगर से गिरफतरी दिखाई। हालांकि सीबीआई और पुलिस किसी लफड़े में न फंसे इसलिए सभी का नंबर बंद होने और सरकारी गनर के जरिये विधायक तक पहुँचने का बयान देती रही।
बहादुर यूपी पुलिस को गिरफ्तार करने की नहीं थी ताकत
विपक्षियों का कहना है कि विधायक का रसूख इतना है कि खुद को दुनिया का नंबर वन कहने वाली बहादुर पुलिस की हिम्मत नहीं थी कि वह विधायक को गिरफ्तार कर सके। उन्नाव गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सीबीआई जांच की अनुशंसा किए जाने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने मुख्य आरोपी और बांगरमऊ सीट से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार सुबह हिरासत में लिया है। सीबीआई के अधिकारी गैंगरेप के आरोपी बीजेपी विधायक को कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रहे थे।
सीबीआई के ऑफिस में हुई पूछताछ
जानकारी के मुताबिक, हिरासत में लिये जाने के बाद कुलदीप सेंगर को राजधानी के हजरतगंज स्थित सीबीआई के ऑफिस में लाया गया। यहां रेप के आरोपी विधायक से पूछताछ हो रही थी। यहां से सीबीआई की टीम माखी पूछताछ के पहुंची। यहां टीम ने साक्ष्य इकठ्ठा कर लोगों से पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो सीबीआई शुक्रवार सुबह कुलदीप सेंगर को स्थानीय अदालत में पेश कर उन्हें रिमांड पर भेजने की मांग कर सकती है। हालांकि अब तक एजेंसी की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
कई धाराओं में दर्ज है मुकदमा
बता दें कि उत्तर प्रदेश शासन से आदेश जारी होने के बाद कुलदीप के खिलाफ उन्नाव के माखी थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366, 376 ,506 और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। शासन ने इस आदेश में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी, जिसे एजेंसी द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। इस आदेश में सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी।
एसआईटी की टीम ने सौंपी थी रिपोर्ट
सरकार के इस आदेश से पहले मामले की जांच के लिए बनाई गई विशेष जांच समिति ने भी पुलिस महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। एसआईटी की रिपोर्ट के अलावा जिलाधिकारी उन्नाव और डीआईजी जेल ने भी इस मामले से जुड़ी एक रिपोर्ट शासन के पास भेजी थी, जिसके आधार पर सरकार ने विधायक कुलदीप सिंह और अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिये थे।
डीजीपी बोले-सरकार किसी को नहीं बचाना चाहती
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवालों पर डीजीपी ने कहा कि अब तक तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की गई है। आगे भी इसी आधार पर की जाएगी। सरकार किसी को बचाने का प्रयास नहीं कर रही है। एसआईटी ने जिन पुलिस अफसरों को दोषी बताया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। डीजीपी ने कहा कि पीड़िता और उसके परिवार को मुकम्मल सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई है। न तो उस पर कोई दबाव डाल सकता है, न ही कोई जांच प्रभावित कर सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी में ध्वस्त हो चुकी है कानून-व्यवस्था
रेप कांड में पुलिस की ढिलाई और अभियुक्तों को बचाने की कोशिश पर तल्ख टिप्पणी करते हुए बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले से साफ है कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसे शुक्रवार दोपहर दो बजे सुनाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सफाई दी कि आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर ही कार्रवाई की जाएगी। अदालत के इस सवाल पर कि सरकार विधायक को गिरफ्तार करना चाहती है या नहीं, महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा कि वह इस बारे में कोई बयान नहीं दे सकते हैं। यदि अदालत कोई आदेश देती है तो सरकार कार्रवाई करेगी।
मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने कहा कि पीड़िता ने 17 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई थी कि 4 जून को विधायक और तीन लोगों ने उसके साथ रेप किया, लेकिन उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। एसआईटी रिपोर्ट के बाद विधायक पर प्राथमिकी दर्ज हुई। इससे पहले पीड़िता ने बहुत कुछ खो दिया। आत्मदाह की कोशिश की, उसके पिता की हत्या हो गई। पुलिस क्या करती रही? जबकि एसआईटी रिपोर्ट में है कि पहली नजर में पीड़िता के आरोप विश्वसनीय हैं।
क्या है पूरा घटनाक्रम
गौरतलब है कि रेप पीड़िता का चाचा 19 जनवरी से सोशल मीडिया पर इंसाफ की गुहार लगा रहा था। लेकिन पूरी दुनिया में सोशल मीडिया (ट्विटर) पर खूब सुर्खियां बटोरने वाली यूपी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़िता के परिवार का कहना है कि अगर पुलिस ने तीन महीने पहले कार्रवाई की होती तो उनके परिवार का मुखिया जिंदा होता।
हालांकि पुलिस की लचर कार्रवाई के चलते पिछली 3 अप्रैल को पुलिस की निगरानी में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके गुर्गों ने पीड़िता के पिता और चाचा को बुरी तरह पीटा था। पुलिस ने इस मामले में गंभीर रूप से घायल पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया था। इसके बाद पीड़िता ने पिछली 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास के बाहर पूरे परिवार के साथ आत्मदाह का प्रयास किया।
इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया तब तक जेल में हिरासत के दौरान रेप पीड़िता के पिता की 9 अप्रैल को मौत हो गई। तब मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ लिया। इस मामले में सीएम योगी के निर्देश के बाद थाना प्रभारी माखी सहित 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पुलिस ने इस केस में चार लोगों को गिरफ्तार किया। मंगलवार सुबह लखनऊ क्राइम ब्रांच ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उधर पुलिस ने सुरक्षा के बीच पीड़िता के परिवार का अंतिम संस्कार करवा दिया। जिलाधिकारी उन्नाव ने पीड़ित परिवार को मिलने के लिए बुलाया था। वहीं पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए भी पीआईएल दाखिल की।
मंगलवार को एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि उन्नाव गैंगरेप केस में यूपी सरकार ने SIT का गठन किया। इस मामले में भाजपा विधायक से भी पूछताछ होगी। वहीं पीड़ित लड़की के पिता की संदिग्ध हालत में मौत के बाद प्रमुख सचिव गृह ने पुलिस को फटकार लगाते हुए मामले की पूरी रिपोर्ट तलब की। जेल में विधायक की दखल का खुलासा हुआ है। विधायक कुलदीप सिंह का रिश्तेदार है जेल में सप्लायर है। सप्लायर के पास जेल में राशन, सब्जी सप्लाई का ठेका है। बताया जा रहा है कि सप्लायर से भी पूछताछ होगी।
मीडिया का दबाव बढ़ता देख यूपी पुलिस ने विधायक को पूरी तरह बचाने का प्रयास किया। बुधवार की रात विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने फौरन केस सीबीआई को दे दिया। डीजीपी ओपी सिंह और प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने प्रेसवार्ता कर अपनी सफाई दी। गुरुवार की शाम सीबीआई की टीम ने रेड मारनी शुरू की और सुबह तड़के आरोपी विधायक को गिरफ्तार कर लिया।
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