उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पिछले दिनों हुए स्कूल वैन हादसे में मारे गए बच्चों के परिवार का दर्द उस वक्त और बढ़ गया, जब उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा मुआवजे के रूप में मिला चेक बाउंस हो गया। पीड़ितों का कहना है कि मुआवजा तो नहीं मिला लेकिन उल्टा उनके खाते से रुपए कट गए। यही नहीं, बैंक से इसकी शिकायत करने पर बैंककर्मियों ने उनसे दोबारा चेक लगाने को कहा। हालांकि, फिर वही हुआ, दोबारा खाते से पैसे काट लिए गए। इसके बाद पता चला कि परिजनों को दिए गए चेक की एंट्री ही नहीं है।

उल्टा पीड़ित के खाते से कट गए 236 रुपये

स्कूल वैन हादसे में मिश्रौली गांव के पूर्व प्रधान अमरजीत ने अपने तीनों बच्चों की जान गंवा दी थी। इस घाव पर मरहम के तौर पर प्रदेश सरकार और रेल प्रशासन ने उन्हें मुआवजे के तौर पर चेक दिए। जब उन्होंने सरकार का चेक इलाहाबाद की पडरौना शाखा में लगाया तो वह वहां से बाउंस हो गया और उनके खाते से 236 रुपये कट गए। पिछले सोमवार को एसडीएम ने उसे ठीक करने की बात कहते हुए कानूनगो को भेजकर उनसे चेक मंगवा लिया। यह मामला सिर्फ अमरजीत का नहीं है। यही स्थिति हादसे के बाद राहत चेक मिले 18 दिन बीत जाने के बाद सभी की है। रेल क्रॉसिंग हादसे के शिकार कुल 13 मासूमों के आठ परिवारों को सरकार ने उसी दिन मुआवजा दिया था। रेलवे ने भी मुआवजे के चेक उसी दिन दे दिए थे। लेकिन लोगों को यह राहत राशि अब तक नहीं मिली है।

26 अप्रैल की सुबह हुआ था दुखद हादसा

गौरतलब है कि पिछली 26 अप्रैल की सुबह बहपुरवा रेलवे क्रॉसिंग पर हुए हादसे में 13 स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी। सभी की उम्र 8-10 के बीच थी। हादसे के शिकार हुए इन बच्चों के 8 परिवारों को रेलवे प्रशासन व जिला प्रशासन ने मरहम के तौर पर घटना के दिन ही 2-2 लाख के चेक दिए। आनन-फानन में दिए गए चेक में हुई गड़बड़ियों के चलते पीड़ितों को काफी दिक्कतों का सामने करना पड़ रहा है। दो बेटों को खोने वाले पडरोन मुडरई गांव के निवासी हैदर ने बताया कि जब उन्होंने बैंक में चेक जमा किया, तो वह ‘आउट ऑफ रेंज’ बताता रहा। उनके मुताबिक, बार-बार तहसील के चक्कर काटे, तब कहीं जाकर चेक अपडेट किया गया। हालांकि, तहसीलदार से मुलाकात के बाद मामले का निपटारा हुआ।

घायलों को मिले चेक का भी ऐसा ही हाल

वहीं, तीन बच्चों को खोने वाले मिश्रौली गांव के अमरजीत को मिले 6-6 लाख के चेक अभी तक क्लीयर नहीं हो सका है। उनके मुताबिक, जब उन्होंने सरकार का चेक इलाहाबाद की पडरौना शाखा में लगाया, तो वह वहां से बाउंस हो गया। उनके खाते से 236 रुपए कट गए। उन्होंने शिकायत की, तो बैंककर्मियों ने उन्हें दोबारा चेक लगाने को कहा, तो उसका भी यही हाल हुआ। फिर चेक बाउंस होने का चार्ज कट गया। सोमवार को एसडीएम ने उसे ठीक करने की बात कहते हुए कानूनगो को भेजकर उनसे चेक मंगवा लिया। इसी तरह, दो बच्चों को खोने वाले मैनुद्दीन को भी रेलवे की ओर से मिला चेक पेंडिंग है। वहीं, एक-एक बेटे को खोने वाले जहीर और नजीर को अपना चेक दुरुस्त कराने रेल विभाग के ऑफिस वाराणसी तक जाना पड़ा। लेकिन अभी तक खाते में रुपए नहीं आए हैं। दो बेटियों को खोने वाले हासन के खाते में 8.50 लाख रुपए पोस्ट होने के बाद 4.50 लाख रुपए वापस ले लिए गए। इसके अलावा घायलों को मिले चेक का भी ऐसा ही हाल है।

रेलवे के चेक का पैसा भी किसी को नहीं मिला

रेलवे के चेक का पैसा तो किसी के पास भी नहीं आया है। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए चेक का भी हाल कुछ ठीक नहीं है। पड़रोन मुडरई गांव के निवासी हैदर के दो बेटों गोहू और मरूल की मौत हो गई थी। वह बताते हैं कि चेक जब बैंक में जमा किया गया तो वह आउट ऑफ रेंज ही बताता रहा। बार-बार तहसील के चक्कर काटने पड़े तब जाकर इसे अपडेट किया गया। शनिवार को जब तहसीलदार से मुलाकात हुई तो उन्होंने सोमवार तक इस मामले में कुछ करवाने को कहा था, सोमवार को खाते में पैसा आ गया है।

लेकिन रेलवे द्वारा दिए गए चेक से पैसा नहीं आया। मैहिहरवा निवासी जहीर ने इसी हादसे में अपना बेटा अरशद तो उनके भाई नजीर ने अपना बेटा अनस खोया। दोनों को राहत चेक मिला था, लेकिन अब तक उसका पैसा अकाउंट में नहीं आया। जहीर बताते हैं कि उनका चेक जहीर के नाम से बना दिया गया था, जबकि उनका खाता मोहम्मद जहीर अंसारी के नाम से है। बैंक ने चेक लेने से इनकार कर दिया। वहीं भाई का बैंक में अकाउंट नहीं था।

रेल प्रशासन से मिला चेक पेंडिंग

उनके कागजात पर नजीर अहमद नाम लिखा था तो खाता उसी नाम से खोल दिया गया, लेकिन चेक नजीर के नाम से बना था। बैंक ने जब चेक लेने से इनकार कर दिया तो तहसील के चक्कर काटने पड़े। बीडीओ, जिला पंचायत अध्यक्ष और बाकी लोगों से तमाम मिन्नत की गई तब जाकर चेक आठ मई को ठीक करवाया गया। यह चेक बैंक में जमा है लेकिन भुगतान नहीं हुआ। रेलवे के चेक में भी यही दिक्कत की गई तो वाराणसी तक का चक्कर काटा गया। वहां अप्लीकेशन ले ली गई, लेकिन अब तक पैसा नहीं आया है। दो बच्चों मेराज और मुस्कान को खोने वाले मैहिहरवा निवासी मैनुद्दीन का भी रेल प्रशासन से मिला चेक पेंडिंग है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने बताया कि यह सब सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता की वजह से है। हादसे का सरकारी मरहम अब तक लोगों को राहत नहीं दे सका है।

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