उत्तर प्रदेश सरकार भले ही आंकड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। दरअसल यूपी में ध्वस्त हो चुकी एम्बुलेंस सेवा के चलते मरीज कहीं अपने पिता के कंधों पर दम तोड़ रहे हैं तो कहीं परिजन मरीज को ठेलिया और चारपाई से ढो रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि पिछली कई घटनाएं इसका जीता जगता उदाहरण है। हालांकि इस मामले में अब विभागीय अधिकारी कार्रवाई की बात कह रहे हैं।
400 मीटर पैदल चलकर पैदल गए मां-बाप
जानकारी के मुताबिक, आगरा जिला में स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज में बदइंतजामी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। राजाखेड़ा निवासी सूरज पुत्र रतन सिंह अपनी पत्नी और भाई के साथ आठ माह के बच्चे को लेकर एसएन पहुंचा। बच्चे का पेट फूल रहा था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। बाल रोग विभाग ने बच्चे को जांचों के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में भेज दिया। फिर यहां से बच्चे को लेकर मां-बाप सिलेंडर कंधे पर रख करीब 400 मीटर पैदल चलकर रेडियोडाइग्नोसिस विभाग पहुंचे।
मिन्नते करने पर हुई बच्चे की जांच
इसके बाद यहां मिन्नते करने पर बच्चे की जांच हुई। फिर बाल रोग विभाग गए, जहां बच्चे को भर्ती किया गया। मामले की शिकायत पर प्रमुख अधीक्षक डॉ. अजय अग्रवाल ने बाल रोग विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं बाल रोग के विभागध्यक्ष डॉ. राजेश्वर दयाल का कहना था कि मैं अपना पक्ष प्राचार्य के सामने रख चुका हूं। उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। प्राचार्य डॉ. सरोज सिंह के कार्यालय में संपर्क किया तो वह नहीं थीं।
इससे पहले भी को चुकी घटना
नियम के मुताबिक, एसएन में ऑक्सीजन सिलेंडर वार्ड ब्वॉय को स्टैंड मशीन से लेकर जाना चाहिए। साथ ही गंभीर बच्चों की जांचें विभाग में ही होनी चाहिए। गंभीर मरीजों के लिए रेडियोलॉजिकल जांचें तत्काल होने की सुविधा है। इस घटना से पूर्व इमरजेंसी में ऑक्सीजन मास्क लगी हालत में बुजुर्ग मां के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर कंधे पर रखे बेटे की बेबसी सामने आई थी। बुधवार को औलाद की जिंदगी के लिए मां-बाप सर्जरी बिल्डिंग से रेडियोलोजी तक और ओपीडी से बाल रोग विभाग तक करीब एक घंटे भटकते रहे।