पुराने लखनऊ में टीले वाली मस्जिद के सामने चौराहे पर भगवान लक्ष्मण की भव्य प्रतिमा स्थापित की जानी थी. नगर निगम ने मूर्ति लगाने को लेकर प्रस्ताव भी पास कर दिया था. लेकिन अब लक्ष्मण प्रतिमा लगाने के फैसले से महापौर संयोक्ता भाटिया पीछे हट गयी हैं.
सदन की बैठक में शामिल ही नहीं हुआ लक्ष्मण प्रतिमा का प्रस्ताव:
राजधानी लखनऊ की प्रसिद्ध टीले वाली मस्जिद के सामने लक्ष्मणपुरी में भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण की मूर्ति लगनी थी. इसके लिए कार्यकारिणी में बीजेपी पार्षद दल के नेता रामकृष्ण यादव और भाजपा पार्षदों के मुख्य सचेतक रजनीश गुप्ता ने प्रस्ताव भेजा था जिसके लखनऊ नगर निगम ने मंजूरी दे दी थी.
लेकिन कार्यकारिणी में इस प्रस्ताव को पास किये जाने के बाद भी नगर निगम सदन की बैठक के लिए बने प्रस्ताव में ये मुद्दा शामिल ही नहीं किया गया.
महापौर संयुक्ता भाटिया ने मामलें को शामिल ही नहीं किया:
नगर निगम सदन की बैठक 11 अगस्त को बुलाई गई है. इसमें बीती 27 जून को नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक में हुए सभी फैसलों को चर्चा व सदन के अनुमोदन के लिए शामिल किया गया है।
इसमें टीले वाली मस्जिद के सामने लक्ष्मण जी की मूर्ति लगाने का फैसला भी किया गया था. बावजूद इसके सदन की बैठक में इसे शामिल ही नहीं किया गया।
विपक्षी पार्षदों और मौलानों ने किया विरोध:
दरअसल टीले वाली मस्जिद के सामने लक्ष्मण जी की मूर्ति लगाने के फैसले का विपक्षी पार्षदों ने विरोध किया था। इतना ही नहीं इस फैसले के बाद मुस्लिम धर्म गुरुओं ने भी नगर निगम के फैसले का विरोध किया था। मौलानाओं ने मूर्ति लगने से रोकने के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था.
इसी कड़ी में महापौर संयुक्ता भाटिया भी अब इस मुद्दे से बचना चाह रही हैं। लिहाजा उन्होंने सदन के प्रस्ताव में लक्षमण जी की मूर्ति के मुद्दे को शामिल नहीं किया है।
उनके इस फैसले के बाद इसे लोकसभा चुनावों से जुड़ कर भी देखा जाना लाज़मी होगा. क्योंकि लखनऊ में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भाजपा के वोटर हैं और इस मुद्दे पर जिस तरह मुस्लिम धर्म गुरु और मौलाना विरोध कर रहे हैं, उस लिहाज़ से इस मामलें को ठंडे बस्ते में डालना ही सही होगा.