वर्तमान समय में भीषण गर्मी में पूरे प्रदेश का हाल बुरा है। आसमान से बरस रहे शोलों के चलते सवेरे सात बजे से ही सड़क पर निकला दूभर हो जाता है। सूरज के प्रचण्ड तेवर से गर्मी का मौसम और भी विकराल होता जा रहा है। भयंकर तपिश से जनजीवन तप रहा है। लोग बेहाल होकर गर्मी से बचाव कर रहे हैं। आलम यह है कि दिनभर गर्मी से लोग बिलबिलाते रहते हैं लेकिन मजबूरीवश घरों से बाहर निकलते हैं। ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं के अभाव में गर्मी का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है।
ऐसे में बुंदेलखंड का तो हाल बहुत ही बुरा है। यहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में uttarpradesh.org आप को लेकर चल रहा है एक ऐसे गांव में जहां पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है। इस गांव को वैसे तो भाजपा सांसद उमा भारती ने गोद ले रखा है, गांव भी आदर्श ग्राम है, लेकिन इस गांव का एक मोहल्ला बाल्टी भर पानी के लिए घंटो जद्दोजहद करता नजर आता है। यहां के लोगों का आरोप है कि हम लोग अनुसूचित जाति के हैं इसलिए ग्राम प्रधान इधर सरकारी हैंडपंप नहीं लगाते। इसके कारण मोहल्ले की आबादी भीषण गर्मी में पानी के लिए परेशान है। इस गांव का हमारी टीम ने रियलिटी चेक किया तो पानी की भयंकर किल्ल्त सामने आई। पेश है एक रिपोर्ट…
केन्द्रीय संसाधन मंत्री व झाँसी, ललितपुर क्षेत्र की सांसद फायर ब्रांड जैसे कई नामों से जानी-पहचानी जाने वाली उमा भारती ने ललितपुर के पवा गाँव को गोद लेने की घोषणा की तो लोगों को लगा कि उनके गाँव की तस्वीर अब बदल जाएगी। लोगों को उम्मीद थी कि गाँव में विकास होगा। गाँव विकास का मॉडल बन जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गाँव के लोग बताते हैं कि उमा एक साल से गाँव में ही नहीं आईं। सड़कें, साफ-सफाई के साथ ही कई व्यवस्थाएँ हैं जो बदहाल हैं।
कहा जाता है कि उमा गाँव को गोद ले लेती हैं तो यह गाँव कुछ खास हो जाता है। उमा भारती देश की बड़ी नेताओं में शुमार हैं वह वीआईपी हैं। इसलिये गाँव को उसी नजर से देखने का ख्याल आना भी स्वाभाविक है। उमा के गोद लेने से असामान्य हुआ ये गाँव पहली, दूसरी, तीसरी हर नजर से देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन गाँव सामान्य ही लगता है। उमा के गोद लेने के बाद गाँव में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं। ललितपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी और ब्लॉक तालवेहट के 8 किमी आगे झांसी से पहले नेशनल हाइवे से 3 किमी दूर पवा गांव है।
पवा गांव में अगर जैन मंदिर की तरफ से पहाड़ी इलाके से प्रवेश करेंगे तो गांव में सड़क तक नहीं है। गांव में घुसते ही एक सरकारी हैंडपंप लगा हुआ है। इस हैंडपंप पर दिनभर पानी के लिए जद्दोजहद होती दिखाई दे जाएगी। मोहल्ले के रहने वाले भैख लाल, सवी, मातादीन, बेनी बाई, राधा, विनीता, सरोज, सावित्री, वर्षा, महक, सविता, गोवरानी, रुकमा, सखी सहित कई लोगों ने बताया कि इस मोहल्ले में करीब 1000 की आबादी के बीच सिर्फ यही एक नल है। यहां एक बाल्टी पानी भरने के लिए करीब दो घंटे लाइन में लगना पड़ता है।
पानी के लिए लड़ाई तक हो जाती है। आरोप है कि ग्राम प्रधान अनुसूचित जाति होने के कारण इधर नल नहीं लगवाते। इतना ही नहीं राशन तक नहीं देते, किसी तरह हम लोग परिवार का पेट पालते हैं। गांव को सांसद ने गोद लिया तब से वह दो बार आई। गांव के कई लोग तो उन्हें पहचानते तक नहीं हैं। वहीं ग्राम प्रधान ज्योति मिश्रा के पति विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि ये लोग सिर्फ उसी नल से पानी भरते हैं। गांव में टंकी सहित सभी सुविधाएँ शहर जैसी हैं लेकिन ये लोग आरोप गलत लगा रहे हैं।
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