जहां देशभर में दशहरे के मौके पर रावण का पुतला दहन किया जाता है, वहीं मथुरा में एक अलग ही नज़ारा देखने को मिलता है, जिसमें यमुना पुल के पास शिव मंदिर परिसर में सालों से दशानन रावण की पूजा की जाती है.

हर साल करते हैं रावण की पूजा:

जिले का लंकेश भक्त मंडल लोगों को जागरुक करने का प्रयास करता है और पुतला दहन न करने का आग्रह भी करता हैं. साथ ही रावण की अच्छाइयों के बारे में भी बताता हैं.

बता दें कि लंकेश भक्त मंडल रावण को अपना आदर्श मानता हैं.

रावण वध को लेकर उनका कहना है कि यह न केवल अपमानजनक है बल्कि हर साल ऐसे आदर्श व्यक्तित्व का पुतला जलाना इस देश की संस्कृति के खिलाफ है। हम इसका विरोध करते हैं

रावण को मानते हैं अपना आदर्श:

जब इस बारे में रावण वंशी लंकेश भक्त मंडल के लोगो से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रावण त्रिकालदर्शी थे. वे चारों वेदो के ज्ञाता थे.

लंकेश भक्त मंडल से जुड़े लोगों ने बताया कि रावण परम शिव भक्त थे और उन्होंने जीवन भर सीता माता को हाथ तक नहीं लगाया था.

वहीं रावण वध की निंदा करते हुए उन्होंने सवाल किया कि जो व्यक्ति एक बार मर जाता है.

उसको बार-बार क्यों मारा जाता है?  क्यों बार बार रावण के पुतले का दहन किया जाता है?

रावण वध की करी निंदा:

उन्होंने विरोध करते हुए कहा कि हमारे समाज के साथ दुर्व्यवहार की भावना से हमारे कुल के राजा का बार-बार दहन किया जाता है. जो सरासर गलत है.

उन्होंने अपील की कि भगवान रावण की पूजा की जानी चाहिए ना कि हर वर्ष उनका दहन किया जाना चाहिए.

रावण हमारे कुल के राजा थे और परम ज्ञानी थे.

लंकेश भक्त मंडल ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी उन्होंने रावण की पूजा अर्चना की है.

उन्होंने कहा कि रावण राम के आचार्य थे और सीता उनकी पुत्री थी.

साथ ही कहा कि उनके संस्कारों को पाठ्यक्रम में लाना चाहिए. रावण का पुतला दहन नहीं किया जाना चाहिए.

इसके लिए हम अब सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे.

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