जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद-ए-आजम चंद्रशेखर आजाद की सरजमीं का एक और आजाद देश के लिए शहीद हो गया। आतंकी हमले के बाद से टीवी देखता भाई रंजीत तब सहम गया जब स्क्रीन पर भाई का नाम दिखा। इसी बीच आए एक फोन से घर चीख पुकार मच गई। मोहल्ले के लोग दौड़े तो अजीत की शहादत की बात सुन शोक की लहर दौड़ गई। डीएम, एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंच परिजनों को ढांढस बंधाया। अधिकारियों ने शहीद को कंधा देकर अंतिम विदाई दी। इस दौरान सैकड़ों लोग गमगीन होकर रोने लगे।
हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान अजीत कुमार आजाद जम्मू में सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे। करीब एक माह का समय परिजनों के साथ बिता 10 फरवरी को वह उन्नाव से ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए गए थे। बुधवार को पत्नी मीना से उसकी फोन पर भी बात हुई और दोनों ने एक दूसरे से हालचाल लिए। जवान अजीत ने गुरुवार को रात में पत्नी से बात करने को कहा था। अभी वह पति के फोन का इंतजार ही कर रही थी कि अचानक टीवी पर उसकी शहादत की खबर सुन वह बेहोश हो गई। परिवार के किसी सदस्य को इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि अजीत भी हमले में देश के लिए कुर्बान हो गया।
इसी बीच सीएआरपीएफ के एक अधिकारी ने मां के फोन पर अजीत के शहीद होने की जानकारी दी तो परिवार में कोहराम मच गया। शहादत में भाई का नाम देख बंद कर दी टीवी पुलवामा में हुए आतंकी हमले की खबर टीवी पर देख रहे रंजीत ने जैसे ही शहीद जवानों की सूची में भाई का नाम देखा तो उसके होश उड़ गए। आनन-फानन में वह टीवी बंदकर रोते हुए बाहर की ओर भागा तो मोहल्ले की भीड़ इकट्ठा हो गई। लोग अजीत की मिलनसारिता को याद कर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे लेकिन बुजुर्ग माता को देख उन्होंने आंसू भी रोक लिए।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]परिवार बोला, बेटा नहीं देश पर हुआ हमला [/penci_blockquote]
अजीत आजाद की शहादत पर आंसू बहा रहे परिवार में हमले को लेकर आतंकियों पर बेहद गुस्सा था। परिवार के लोग बोले बेटा नहीं देश पर हमला हुआ है। सरकार बदला जरूर लेगी। अजीत पांच भाइयों में सबसे बढ़ा था, छोटा भाई मंजीत सेना में हवलदार पद पर भोपाल में तैनात है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पत्नी और दो बच्चियों का रो-रोकर बुरा हाल [/penci_blockquote]
एक माह की छुट्टी बिताकर वापस ड्यूटी जाने के दौरान अजीत की दोनों बेटियों श्रेया 7, ईशा 10 ने उन्हें रोका तो अजीत ने दोनों बेटियों और पत्नी मीना को जल्दी दोबारा छुट्टी लेकर घर आने और साथ जम्मू लेकर वैष्णोदेवी के दर्शन कराने की बात कह दुलराने के बाद निकल गया। पापा के शहीद होने पर दादी राजवंती और मां मीना के साथ अन्य परिजनों को बिलखता देख बच्चियां भी रो पड़ी।
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