राजधानी लखनऊ के हजरतगंज चौराहे के निकट स्थित गांधी प्रतिमा पर बुधवार दोपहर को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे दलित छात्रों पर पुलिस ने बर्बर तरीके से लाठीचार्ज कर दिया। दलित छात्र हंगामा कर रहे थे तभी पुलिस ने लाठियों से गिरा-गिराकर जमकर पीटा। दलित छात्र ‘समाजवादी छात्र सभा के बैनर तले प्रदर्शन कर सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। पुलिस के लाठीचार्ज से मौके पर भगदड़ मच गई। बर्बर तरीके से लाठीचार्ज में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए तो कई को मामूली चोटें भी आईं हैं। काफी देर तक चले हंगामे के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने स्थिति को काबू में किया। प्रदर्शन के दौरान दलित छात्रों ने मौके पर मौजूद पुलिस और मीडियाकर्मियों से अभद्रता की इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरा-गिराकर पीटा।
#लखनऊ – अनुशासन हीनता करने पर पुलिस ने किया दलित छात्रों पर लाठीचार्ज, आरक्षण को लेकर दलित छात्र हज़रतगंज चौराहे पर रोड जाम करके कर रहे थे प्रदर्शन @lucknowpolice @Uppolice pic.twitter.com/ZfKUcJKFxA
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) April 11, 2018
प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं के मुताबिक, लखनऊ में आंदोलनकारी यह छात्र-शिक्षक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के रोस्टर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। दरअसल उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के रोस्टर के विरोध में लखनऊ के हजरतगंज स्थित भीमराव रामजी आंबेडकर की प्रतिमा पर आरक्षित वर्ग के शिक्षक और विद्यार्थियों का जमावड़ा लगा। शिक्षकों ने यूजीसी पर भेदभाव का आरोप लगाया। सूत्रों ने बताया कि पुलिस को लाठीचार्ज उस समय करना पड़ा जब यह शिक्षक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष जाकर अपना विरोध जताने की तैयारी कर रहे थे। वह शाह विरोधी नारेबाजी भी कर रहे थे। शिक्षकों का कहना था कि सरकार के इशारे पर यूजीसी काम कर रही है। रोस्टर वापस नहीं हुआ तो 15 अप्रैल को प्रदेशव्यापी विरोध होगा।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश भर के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को एससी-एसटी-ओबीसी और दिव्यागों की आरक्षण नीति और बैकलॉग पूरा करने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें स्पष्ट किया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों और ऐसे संस्थानों को जो पब्लिक फंड से चलते हैं, उनमें भी आरक्षण नीति को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा । सभी शैक्षणिक संस्थान समय-समय पर जाँच करें कि एससी-एसटी-ओबीसी और दिव्यागों के लिए आरक्षण नीति लागू हो रही है या नहीं। केंद्र सरकार व डीओपीटी ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को सभी आरक्षण संबंधी रोस्टर अपनी वेबसाइटों पर अपलोड व प्रकाशित करने के निर्देश दिए हैं।
फीस वृद्धि के विरोध में अभिभावकों का प्रदर्शन
मेरठ के बागपत रोड स्थित न्यू देवपुरी के अभिभावकों ने फीस वृद्धि को लेकर मोर्चा खोला। एडमिशन चार्जेस बढ़ाने (फीस वृद्धि), स्कूल की फीस बढ़ाने, कोर्स बदलने और महंगी किताबों की लिस्ट बच्चों को देने के विरोध में ये प्रदर्शन किया गया।अभिभावकों की शिकायत पर सारथी संस्था की अध्यक्ष कल्पना पाण्डेय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायत पत्र भेजकर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि स्कूलों की मनमानी के आगे गरीब व्यक्ति का बच्चों को पढ़ना दुस्वार हो गया है। अगर ऐसा ही रहा तो सर्व शिक्षा अभियान का नारा भी खोखला साबित हो जायेगा।