लंबे अर्से से अधर में लटकी प्रबंध नगर योजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने छोडऩे का मन बना लिया है। आगामी बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव एलडीए की ओर से रखा जाएगा। सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस योजना के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट एलडीए उपाध्यक्ष को सौंप दी है जिसमें इस योजना को छोडऩे को ही एलडीए के हित में ठहराया गया है। इसके अतिरिक्त, बोर्ड बैठक में अन्य छोटे-बड़े मुद्दे रखे जाएंगे।
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तैयार की गयी रिपोर्ट
- एलडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर सचिव की अध्यक्षता में प्रबंध नगर योजना की समीक्षात्मक रिपोर्ट के लिए कमेटी का गठन किया गया था।
- इसमें अध्यक्ष सचिव जय शंकर दुबे, अपर सचिव अनिल भटनागर, नजूल अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा आदि शामिल थे।
- कमेटी ने मौका मुआयना करने के साथ अपनी रिपोर्ट तैयार की।
- इसमें बताया गया कि वर्तमान में जमीन के अधिग्रहण के लिए एलडीए को 5816.99 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में देना होगा।
- कारण, अर्जन विभाग के प्रयास के बाद भी किसानों से समझौता नहीं हो सका है।
- ऐसे में प्राधिकरण को मुआवजा देने के लिए पूर्व में भू-अध्याप्ति कार्यालय, जिला प्रशासन को दिये गए 203.40 करोड़ रुपए लेना चाहिए।
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- इस धनराशि को दूसरी योजना में खर्च किया जा सकता है।
- इसी रिपोर्ट में 2325 करोड़ रुपए के मुनाफे का आंकलन किया गया है।
- हालांकि मुआवजे की राशि के अतिरिक्त एलडीए को विकास कार्य के लिए 11301 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
- इसके उलट, आवासीय, कॉमर्शियल और फार्म हाउस बेचने से होने वाली आय 13,626 करोड़ रुपए होगी।
- ऐसे में एलडीए की ओर से बोर्ड बैठक में प्रबंध नगर योजना को एलडीए द्वारा छोड़े जाने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
- बताया गया कि फिलहाल अभी आगामी बोर्ड बैठक की तारीख का निर्धारण नहीं हुआ है
- लेकिन जल्द ही इसका आयोजन होगा। बैठक में एलडीए से जुड़े अन्य छोटे मुद्दे भी रखे जाएंगे।
- एलडीए सचिव जय शंकर दुबे ने कहा कि योजना के संचालन में चुनौतियां अधिक हैं।
- इसके बंद किये जाने से एलडीए को लगभग 230करोड़ रुपए का लाभ होगा।
- इन रुपयों को एलडीए अन्य योजनाओं में लगा सकता है।
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