भले ही लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में अफसर और बाबुओं ने लूट खसोट करके पूरे महकमें की छवि धूमिल की हो लेकिन कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिनकी प्रशंसा जितनी की जाये कम ही होगी। ये हम नहीं बल्कि एक भुक्तभोगी का कहना है जो पिछले नौ साल से एलडीए के चक्कर काट रहा था लेकिन उसे अधिकारी गोल-गोल घुमा रहे थे। लेकिन एक ईमानदार अधिकारी की वजह से एनओसी जारी कर दी है।
भुक्तभोगी से सब पूछ रहे कि ये कैसे हुआ
जानकारी के मुताबिक, पीड़ित जितेंद्र मोहन श्रीवास्तव अलीगंज के सीतापुर रोड के अहिबरनपुर का रहने वाला है। यहां उसकी आवासीय जमीन है इस पर वह घर बनाकर रह रहा है। जितेंद्र ने बताया कि वह एनओसी के लिए वर्ष 2009 से एलडीए के अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें एनओसी नहीं जारी की जा रही थी। इसके बाद उन्होंने पीसीएस अफसर विश्व भूषण मिश्रा से मिलकर पूरी बात बताई।
अर्जन नूजल अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पर विचार कर पूरे कागजात देखे और पीड़ित के लिए कार्रवाई करने का मन बना लिया। विष्णु भूषण मिश्रा ने बताया कि पीड़ित की जो खसरा संख्या पर जमीन है उसी खसरा संख्या में से एलडीए ने भी भूमि अर्जित कर ली थी। इससे जितेंद्र को एनओसी नहीं मिल पा रही थी। एनओसी जारी करने से पहले उन्होंने अर्जन प्रभाग देख रही संध्या श्रीवास्तव को निर्देश दिए।
इसके बाद उन्होंने क्षेत्रीय तहसीलदार रामशंकर ने जाकर पैमाइश की। जांच में पता चला कि जमीन का कुछ हिस्सा एलडीए में आ रहा था। जांच पूरी होने के बाद एलडीए की तरफ से एनओसी जारी कर दी गई है। पीड़ित को एनओसी मिलने के बाद उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं है। अधिकारी ने बताया कि जितेंद्र मेरे ऑफिस आये और उन्हें धन्यवाद कहा। पीड़ित ने कहा कि साहब सभी लोग पूछ रहे हैं कि बिना पैसे के ये कैसे संभव हो गया। करीब 8 साल पहले से वह एनओसी के लिए चक्कर लगा रहा था लेकिन एक ईमानदार अधिकारी की वजह से बिना पैसे के एनओसी जारी कर दी गई।
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