अब वह दिन लद गए जब लखनऊ विकास प्राधिकरण की समस्याओं के निराकरण के लिए लोगों को एडिय़ां रगडऩी पड़ती थीं। एलडीए में नए उपाध्यक्ष के आने के बाद कम से कम यह बदलाव जरूर दिख रहा है कि वह आने वाले समस्याओं की आए दिन मॉनीटरिंग करवा रहे हैं। लिहाजा, परिणाम काबिले तारीफ हैं। ऐसे में एलडीए के ऊपर लगा दाग कि यहां तो एक काम को वर्षों लगेंगे धुलता दिख रहा है। यही नहीं, उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह की समस्याओं के निराकरण करने की नीति भी काम आ रही है। ऐसे में वर्षों से लंबित समस्याएं कम होती जा रही हैं।
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बदली एलडीए की सूरत
- दरअसल, लखनऊ विकास प्राधिकरण में आवंटियों की आवंटन से लेकर आम समस्याएं सुलझाता है।
- जैसे पानी न आना, सडक़ बनी न होना, खंभे पर लाइट न जलना, पार्क का रखरखाव न होना, जैसी तमाम समस्याएं आती रही हैं।
- लेकिन पूर्व में इन समस्याओं के निराकरण के लिए अधिक प्रयास नहीं किये गए।
- कहने को तो यहां समस्याएं सुनने के लिए कई विकल्प खोले गए।
- जिसमें जनता अदालत, जन शिकायत प्रकोष्ठ, ऑनलाइन शिकायत व्यवस्था आदि की सुविधाएं हैं।
- लेकिन वहां आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई अब तक कम ही होती थी।
- लोग अपनी तकलीफ को लेकर एलडीए में एक से दूसरे अधिकार के बीच चक्कर लगाते रहे लेकिन परिणाम शून्य ही रहता।
- आरोप तो यह भी कि जब पीडि़त से रिश्वत नहीं मिलती, उसके प्रार्थना पत्र को कचरे की टोकरी में डाल दिया जाता।
- दुखद यह कि यहां के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी ऐसी शिकायतों की परवाह नहीं करते।
- आरोप यह भी कि उनके दरवाजे भी आमजन के लिए बमुश्किल ही खुलते हैं।
- नतीजा, लोग निराश होकर लौट जाते जबकि जनता अदालतों आदि में पीडि़तों की लंबी फेहरिस्त होती है।
- नये अधिकारी आने के बाद भी उन्हें यहां के हालात से जूझना पड़ा। यह प्रक्रिया आज भी जारी है।
- इसका एक उदाहरण बीते दिनों जनता अदालत में दिखायी दिया।
- जिसमें 15 से अपनी समस्याओं को लेकर एलडीए के चक्कर लगा रहा एक परिवार का गुस्सा फूट पड़ा।
- बावजूद इसके वीसी प्रभु एन. सिंह ने अपना धैर्य न खोते हुए साफ किया कि इनकी शिकायत जायज है।
- और वर्षों इंतजार के बाद लोग ऐसी प्रतिक्रिया दे सकते हैं लेकिन मैं इनकी समस्या का जल्द निराकरण करुंगा।
- उनकी यह बात इसलिए भी पुष्ट होती है। क्योंकि अब पहले की अपेक्षा शिकायतकर्ताओं की संख्या कम हो रही है।
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एलडीए सचिव सुन रहें समस्याएं
- यही नहीं, एलडीए सचिव जय शंकर दुबे भी सभी फरियादियों की समस्याएं सुनते दिखते हैं।
- यहां तक कि व्हाटसएप पर आई शिकायत का भी संज्ञान लेते हैं और उसका जवाब प्राप्त कर उसका रिस्पांस भी दे रहे हैं।
- बीते दिनों कई मामलों में उन्होंने ऐसा किया। इससे एलडीए की छवि बदल रही है।
- बात यहां आने वाली शिकायतों की करें तो 20 मार्च 2017 के बाद मुख्यमंत्री के संदर्भ।
- साथ ही 31 जनवरी 2017 के बाद अन्य माध्यमों से प्राप्त समस्याओं की रिपोर्ट एलडीए में अपडेट की जा रही है।
- इसके परिणाम अब बेहद संतोषजनक दिखायी दे रहे हैं।
- स्थिति यह है कि अब तक आई कुल 2439 शिकायतों में से 1955 का निस्तारण कर दिया गया है।
- इस हिसाब से निस्तारण का प्रतिशत 90 प्रतिशत से अधिक है।
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