राजधानी के आशियाना स्थित सेक्टर एल में तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण के विवाद का पटाक्षेप होता दिख रहा है।लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव जय शंकर दुबे की ओर से नगर आयुक्त उदयराज सिंह को पत्र लिखा गया। इसमें कहा कि उक्त तालाब की जमीन को वह खाली करा लें। इसमें एलडीए पूर्ण सहयोग करेगा। इसके अतिरिक्त, एलडीए अपने आवंटियों को दूसरे स्थान पर समायोजित करेगा। इन सब के बीच शुक्रवार को तीसरे दिन भी निर्माण काम बंद रहा।
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एलडीए ने लिखा पत्र
- आवंटियों को भी इस बाबत सूचित किया जा रहा है। लिहाजा, वे अब कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
- आवंटियों ने दोहराया कि यह सब महज बेशकीमती इस जमीन को बिल्डर को बेचे जाने के लिए किया जा रहा है।
- भविष्य में ये जमीन उन्हें ही बेची जाएगी।
- आशियाना के सेक्टर एल में एलडीए के दस आवंटियों द्वारा बीते रविवार से निर्माण हो रहा था।
- इसकी जानकारी होने पर कि यह जमीन तालाब की है, का खुलासा हुआ।
- नगर निगम के लेखपाल ने काम रुकवाना चाहा लेकिन आवंटियों ने एलडीए की रजिस्ट्री दिखाकर काम न रोकने को कहा।
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- इसके बाद नगर आयुक्त ने एलडीए को पत्र लिखा।
- इसमें कहा गया है कि ग्राम किला मोह मदी नगर, तहसील सरोजनी नगर की खसरा संख्या 171
- जिसका क्षेत्रफल 3.297 हेक्टेयर राजस्व अभिलेखों में तालाब दर्ज है।जो नगर निगम की निहित संपत्ति है।
- उक्त खसरा संख्या पर जीतेन्द्र, अजय अग्रवाल, पूर्णिम, अजीत व अरविंद दुबे द्वारा अवैध कब्जा हो रहा है।
- कब्जेदारों ने बताया कि वह एलडीए के आवंटी हैं। इसलिए एलडीए के निर्देश पर ही कार्य कर रहे हैं।
- आयुक्त ने कहा कि एलडीए उच्च न्यायालय की ओर से पारित आदेश का पालन करें।
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भूमि को करें सुरक्षित
- तालाब भूमि पर किये जा रहे अवैध निर्माण को रोकवाने व तालाब की भूमि को सुरक्षित रखने की कार्रवाई करें।
- इस पत्र के बाद एलडीए के अधिशासी अभियंता रोहित खन्ना भारी पुलिस बल के साथ काम रुकवाने गए।
- बुधवार से काम बंद है। गुरुवार को तीन विभाग की संयुक्त टीम ने रिपोर्ट बना दी। इसमें जमीन तालाब की निकली है।
- इसके बाद अब एलडीए सचिव जय शंकर दुबे ने नगर आयुक्त के पत्र के जवाब में भूमि को खाली कराये जाने के लिए कार्रवाई करने को कहा है।
- साथ ही, इसमें एलडीए की ओर से सहयोग करने की भी संस्तुति दी है।
- उन्होंने कहा कि भविष्य में वे अपने आवंटियों को अन्य योजनाओं में समायोजित कर लेंगे।
- वहीं, आवंटियों का कहना है कि विवाद करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
- लिहाजा अब हम कोर्ट की शरण लेंगे। वह बोले, यह जमीन बेशकीमती है।
- इसलिए हमसे छीनी जा रही है। भविष्य में ये बिल्डर को बेची जाएगी।