सफ़ेद दाग को कभी भी न ठीक होने वाला रोग माना जाता है। लेकिन, ऐसा नहीं है डॉक्टर्स की माने तो त्वचा पर सफेद दाग कुष्ठ रोग नहीं होता है। समय रहते इलाज कराने से सफेद दाग ठीक हो सकता है। सफ़ेद दाग का लक्षण तुरंत ही दिखाई देने लगता है। इसमें व्यक्ति के त्वचा का प्राकृतिक रंग बदलने लगता है और त्वचा का रंग सफ़ेद हो जाता है। इसकी शुरुआत शरीर के किसी भी हिस्से से हो सकती है। इसके बाद ये पूरे शरीर में फैलने लगता है।
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देश में आठ प्रतिशत लोग हैं इससे प्रभावित
- ये रोग संक्रामक नहीं है जबकि कुछ लोगों को ये लगता है की ये रोग संक्रामक है।
- आकड़ों के मुताबिक देश में आठ प्रतिशत लोग विटीलिगो (सफेद दाग) बीमारी से प्रभावित हैं।
- यह किसी भी उम्र में किसी भी महिला व पुरूष को हो सकता है।
- कई बार ये बच्चो को भी हो जाता है।
- यह रोग त्वचा में ‘मिलेनिन’ नामक पदार्थ (जो कि त्वचा का रंग निर्धारित करता है) का बनना बंद हो जाने के कारण होता है।
- केन्द्रीय होम्यापैथिक परिषद के सदस्य व वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि इस बीमारी से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है।
- लेकिन सामाजिक, शारीरिक,मानसिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कष्ट देता है।
- इससे प्रभावित व्यक्ति को लोग हेय दृष्टि से देखते हैं।
- जबकि ये रोग किसी दूसरे व्यक्ति को छुने से नहीं फैला है।
- बीमारी को छुपाना नहीं चाहिए क्यूंकि इसका इलाज यदि समय पर कराया जाये तो ये ठीक हो सकता है।
- डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि हर मरीज को अलग दवा दी जाती है।
- दवा का चयन होम्योपैथी में रोगी के मानसिक लक्षण, शारीरिक बनावट को देखकर किया जाता है।
- कई बार ये भी देखा जाता है की रोगी का आचार, विचार, व्यवहार, इच्छा और अनिच्छा, पसंद और नापसंद क्या है।
- इसके बाद ही उसका इलाज किया जाता है।
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