डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर व नमोस्तुते मां गोमती संस्था की ओर से गुरूवार शाम 05 बजे से महाआरती का आयोजन किया जा रहा है। अश्विन शुक्ल शरद पूर्णिमा व महर्षि वाल्मीकि जयंती पर गोमती महाआरती में वाल्मीकि समाज के लोगों को सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे। (sharad purnima)
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रास पूर्णिमा को रात में चन्द्रमा की किरणों से टपकता है अमृत
- पुराणों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत टपकता है।
- ऐसा कहा जाता है कि पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
- इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। हिन्दी धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है।
- इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं।
- इस रात्रि को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा या आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं।
- इस रात्रि को खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर खाने की भी मान्यता है।
- यह शुभ मुहूर्त रात 8:50 बजे से शुरु होकर दूसरे दिन की रात 12:00 बजे तक रहेगा। (sharad purnima)
शरद पूर्णिमा व्रत कथा
- पौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं।
- दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं।
- लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी।
- इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी।
- उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है।
- पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।
- उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया।
- बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ।
- जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया।
- उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया।
- फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया।
- बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया।
- बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा।
- तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी।
- मेरे बैठने से यह मर जाता। (sharad purnima)
- तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था।
- तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है।
- तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है।
- उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
- तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी।
उल्लू पर सवार होकर आती हैं मां लक्ष्मी
- ज्योतिषियों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर आती हैं।
- वह देखती हैं कौन सा भक्त उनकी भक्ति में लीन है।
- शरद पूर्णिमा तिथि को जो भक्त रात में जागकर मां लक्ष्मी की भव्य उपासना करता है उसपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती हैं।
- बताया जाता है कि इस दिन सच्चे मन और श्रृद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- जिनकी कुंडली में धन का कोई योग ही ना हो, इस दिन की पूजा से प्रसन्न मां लक्ष्मी उन्हें भी धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं। (sharad purnima)