प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बागपत में पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर चुके हैं. इस समरोह में उनके साथ गवर्नर राम नाईक और सीएम योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के सीएम और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी है. पीएम मोदी यहाँ एक विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे हैं.
पीएम मोदी के संबोधन की बातें:
-दिल्ली-NCR में सिर्फ जाम की ही समस्या नहीं है, प्रदूषण की भी एक बड़ी समस्या है। जो साल दर साल और विकराल रूप लेती जा रही है। प्रदूषण की समस्या का एक कारण दिल्ली में आने-जाने वाली गाड़ियों और लंबे ट्रैफिक जाम हैं.
-हमारी सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली के चारों ओर Expressway का एक घेरा बनाने का बीड़ा उठाया। ये दो चरणों में बनाया जा रहा है। इसमें से एक चरण यानि Eastern Peripheral Express way का भी थोड़ी देर पहले लोकार्पण किया गया है
-दिल्ली के अंदर आज जितनी गाड़ियां पहुंचती हैं, उसमें से अब लगभग 30 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। ना सिर्फ बड़ी गाड़ियां और ट्रक बल्कि 50 हज़ार से अधिक कारों को भी अब दिल्ली शहर के अंदर एंट्री की जरूरत नहीं पड़ेगी, ऐसी व्यवस्था बनाई गई है.
सवा सौ करोड़ देशवासियों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में देश के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। यही सबका साथ, सबका विकास का रास्ता है, क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर जात-पात, पंथ-संप्रदाय, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब में भेद नहीं करता.
इससे सबके लिए बराबरी के अवसर पैदा होते हैं। इसलिए हमारी सरकार ने हाईवे, रेलवे, एयरवे, वॉटरवे, आईवे और बिजली से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर सबसे अधिक ध्यान दिया है.
बीते चार वर्षों में 3 लाख करोड़ से अधिक खर्च कर 28 हज़ार किलोमीटर से अधिक के नए हाईवे बनाए चुके हैं। चार वर्ष पहले तक जहां एक दिन में सिर्फ 12 किलोमीटर हाईवे बनते थे, आज लगभग 27 किलोमीटर हाईवे बनाए जा रहे हैं.
रेलवे पर काम कर रहें
इस वर्ष के बजट में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत 5 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके तहत लगभग 35 हज़ार किलोमीटर हाईवे बनाए जा रहे हैं.
हाईवे ही नहीं, रेलवे में अभूतपूर्व काम हो रहा है। जहां रेलवे की कनेक्टिविटी नहीं थी, वहां तेज़ी से रेल नेटवर्क बिछाया जा रहा है.
सिंगल लाइनों को ब्रॉडगेज में बदलने का काम तीव्र गति से चल रहा है। ट्रेनों की स्पीड बढाई जा रही है। लगभग साढ़े 5 हज़ार मानवरहित क्रॉसिंग को बीते चार वर्षों में हटाया जा चुका है:
देश के जल शक्ति का भी पूरा इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। देश में 100 से ज्यादा नए वॉटरवेज बनाए जा रहे हैं। यहां यूपी में ही गंगा जी में जहाज़ चलने लगे हैं। गंगा जी के माध्यम से यूपी समंदर से जुड़ने वाला है.
जल्द ही मालवाहक जहाज़ यूपी में बना सामान बड़े-बड़े पोर्ट तक पहुंचाएंगे। गंगा जी की तरह यमुना जी को लेकर भी योजनाएं बनाई जा रही हैं.
जहां-जहां ट्रांसपोर्ट की ये सुविधाएं खड़ी की जा रही हैं, वहां-वहां नए उद्योगों के अवसर भी तैयार किए जा रहे हैं। इसी सोच के साथ इस साल बजट में यूपी में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के निर्माण का भी ऐलान किया गया है.
New India की तमाम नई व्यवस्थाएं देश के युवाओं, मध्यम वर्ग की आशाओं-अपेक्षाओं के आधार पर खड़ी की जा रही हैं.
कांग्रेस पर साधा निशाना:
हमारी सरकार की रफ्तार का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस सरकार जहां अपने चार साल में सिर्फ 59 पंचायतें ही ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ पाई , वहीं हमने एक लाख से अधिक पंचायतों को ऑपटिकल फाइबर से जोड़ दिया है.
ये हमारी सरकार के लिए सौभाग्य की बात है कि हम बाबा साहब आंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित कर रहे हैं.
मैं आपको अनुभव के आधार पर कह सकता हूं, कि जिनके मन में स्वार्थ है वो सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाने वाली राजनीति करता है। वो लोकलुभाव राजनीति करता है। लेकिन जो सही मायनों में आपके हित में सोचता है, वो लोकहित की राजनीति करता है.
दलित और पिछड़े भाई-बहनों के लिए अवसरों के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और न्याय के लिए भी बीते चार वर्षों में कई काम किए गए हैं। दलितों पर अत्याचार के कानून को हमने और कड़ा किया है.
दलितों का मुद्दा उठाया:
दलितों के अत्याचार से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिए Special Courts का गठन किया जा रहा है.
सरकार ने पिछड़ी जातियों के सब-कैटेगराइजेश के लिए कमीशन के गठन का निर्णय भी किया है। सरकार चाहती है कि OBC समुदाय में जो अति पिछड़े हैं, उन्हें सरकार और शिक्षण संस्थाओं में तय सीमा में रहते हुए आरक्षण का और ज्यादा फायदा मिले.
सच्चाई ये है कि गरीबों के लिए, दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के लिए जो भी कार्य किया जाता है, कांग्रेस और उसके साथ चलने वाले दल या तो उसमें रोड़े अटकाने लगते हैं, या उसका मजाक उड़ाते हैं.
इन्हें देश का विकास भी मजाक लगता है। उन्हें स्वच्छ भारत के लिए किया गया काम मजाक लगता है, उन्हें गरीब महिला के लिए बनाया गया शौचालय मजाक लगता है.
जब हमारी सरकार गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देती है, तो भी ये उसका मजाक उड़ाते हैं। जब गरीब के लिए बैंक खाते खुलते हैं, तब भी इन्हें मजाक लगता है। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में सत्ता देखने के आदी ये लोग गरीब के लिए किए जा रहे हर काम को मजाक समझते हैं.
सियासी फायदे के लिए लोग झूठ बोल रहे: PM
आज देश के लोग देख रहे हैं कि अपने सियासी फायदे के लिए ये लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी खुलेआम झूठ बोल जाते हैं.
ये तक नहीं सोचते कि उनके झूठ की वजह से देश में किस तरह की अस्थिरता पैदा हो सकती है। चाहे दलितों पर अत्याचार से जुड़े कानून की बात हो या फिर आरक्षण की बात, झूठ बोलकर, अफवाह फैलाकर ये लोगों को भ्रमित करने की साजिश करते रहे हैं.
मैं तो सुन रहा हूं कि अब किसानों के बीच भी एक झूठ फैलाया जा रहा है कि जो किसान खेत ठेके पर या बंटाई पर देगा, उससे 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जाएगा। मैं अपने किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि ऐसी किसी अफवाह पर ध्यान नहीं दें, बल्कि जो अफवाह फैलाए, उसकी प्रशासन से शिकायत भी करें.
गन्ना कृषि पर चर्चा:
गन्ना किसानों को चीनी मिलों से बकाया मिलने में देरी न हो, इससे जुड़ा एक बड़ा फैसला हाल में लिया गया है। सरकार ने तय किया है कि प्रति क्विंटल गन्ने पर 5 रुपए 50 पैसे की आर्थिक मदद चीनी मिलों को दी जाएगी.
लेकिन हमें पता है कि इसमें किस तरह का खेल होता है, इसलिए ये राशि चीनी मिलों को न देकर सीधे गन्ना किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी। इससे गन्ना किसानों का पैसा चीनी मिलों में फंसेगा नहीं.
मैं यहां के गन्ना किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार उनकी दिक्कतों के प्रति संवेदनशील है और बहुत कड़ाई के साथ गन्ना किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है.
गंगा सफाई पर देश में पहले भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें हुई हैं। लेकिन ये सरकार बातों में नहीं, काम करके दिखाने में भरोसा रखती है। यही हमारी कार्यसंस्कृति है, यही हमारी पूंजी है। जनता की कमाई का एक एक पैसा जनता पर खर्च हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है.
एक परिवार की पूजा करने वाले लोकतंत्र को नहीं मानते:
एक परिवार की पूजा करने वाले कभी लोकतंत्र की पूजा नहीं कर सकते। ये सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली देश की सेना के साहस को भी नकारते हैं। जब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत की तारीफ करती हैं, तो ये उन्हें भी डंडा लेकर दौड़ पड़ते हैं.
देश की जो एजेंसिया इनके समय में विकास के आंकड़े देती थीं, वही एजेंसियां जब, उसी तरीके से नए आंकड़े जारी करती हैं, कहती हैं कि देश में तेजी से विकास हो रहा है, तो ये उनकी विश्वनीयता पर भी सवाल उठाने लगते हैं.