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लोकदल ने SC/ST एक्ट के खिलाफ भारत बंद का समर्थन किया

Bharat Band Lok Dal

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लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने SC/ST एक्ट के खिलाफ भारत बंद का समर्थन करते हुए कहा कि लोकदल ने सर्व समाज के साथ शुरुआत से ही इस देश द्रोही कानून का विरोध किया था। देश को वोट की खातिर जातियों के नाम पर बाँटने वाली पार्टियों का चेहरा जग जाहिर हो गया। इस देश द्रोही कानून का विरोध विपक्ष ने भी वोट के लिए नहीं किया। किन्तु लोकदल इस देश विरोधी कानून का विरोध करता है। अगर जनता ने 2019 में सहयोग दिया तो इस एक्ट को पास करने वाले नेताओ पर लोकदल देशद्रोही एक्ट के अन्तर्गत कार्यवाही करेगा।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पिछले भारत बंद में हुई थी हिंसा[/penci_blockquote]
गौरतलब है कि पिछली बार भारत बंद एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को बुलाया था। तब सबसे ज्यादा हिंसा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई थी। इस वजह से इस बार मध्य प्रदेश प्रशासन इस बार भारत बंद को देखते हुए पूरी तरह सतर्क है। भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के तीन जिलों मुरैना, भिंड एवं शिवपुरी में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगा दी गई है। धारा 144 भारत बंद के अगले दिन यानी 7 सितंबर तक प्रभावी रहेगी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सवर्णों ने क्यों बुलाया भारत बंद?[/penci_blockquote]
केंद्र सरकार द्वारा एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में सवर्ण समाज, करणी सेना, सपाक्स एवं अन्यों द्वारा छह सितम्बर को ‘भारत बंद’ के आह्वान को मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया। इस बीच, ब्रह्म समागम सवर्ण जनकल्याण संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के विरोध में 6 सितंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करेगा। बता दें कि पिछले एक सप्ताह से इस कानून के खिलाफ मध्यप्रदेश के कई स्थानों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई नेताओं एवं मंत्रियों को काले झंडे भी दिखाये गए हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्या है SC-ST Act?[/penci_blockquote]
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया। इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए। इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके।

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