पार्टियों का नोटबंदी से अब तक का खाता सार्वजनिक करानें की मांग के लिए बुधवार को लखनऊ हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रतिमा पर लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के तत्वावधान में कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। धरना दे रहे आंदोलन के संयोजक प्रताप चन्द्र नें पार्टियों से आग्रह करते हुए कहा कि पार्टियां अपने खाते सार्वजनिक करें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की नैतिक जिम्मेदारी है सार्वजनिक रूप से पारदर्शी रहना, सभी पार्टिओं को अपना खाता सार्वजनिक करना ही चाहिये जिससे जनता में उनके प्रति सुचिता और विश्वास कायम रह सके।
एक महीने से चल रहा आंदोलन
- बता दें कि लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के तहत पिछले एक महीने से लगातार कालाधन के पार्टीधन बनने की आशंका हेतु सभी पार्टियों के प्रदेश कार्यालयों पर धरना देकर नोटबंदी से अबतक का बैंक खाता सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है।
- परन्तु अब तक किसी पार्टी नें स्टेटमेंट नहीं जारी किया।
- जबकि ये आशंका अब सच साबित हो गयी जो बसपा के खाते में बंद हो चुके नगद नोट 104 करोड़ दिसंबर के महीने में जमा किया गया।
- इससे साबित होता है कि सभी पार्टियां अपने बैंक खातों में नोबंदी के बाद कालाधन जमा करके खपा चुकी हैं।
यह है 19 नवम्बर 2014 का आदेश
- लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के संयोजक प्रताप चन्द्र नें चुनाव आयोग से लिखित मांग किया कि आयोग नें 19 नवम्बर 2014 को सभी पार्टियों को जारी आदेश में लिखा था कि पार्टियां अपने नगद चंदे को 10 दिनों के भीतर ही बैंक में जमा कराएं।
- लिहाजा सभी दल 8 नवम्बर को हुए नोटबंदी तक मिले नगद चंदे को 18 नवम्बर 16 तक जमा करा दिए होंगे।
- 18 नवम्बर के बाद दलों द्वारा नगद चंदा बैंक में जमा कराना न सिर्फ गैरकानूनी है।
- बल्कि आयोग के आदेश का उलंघन भी है।
- बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपनी पार्टी के खाते में 18 नवम्बर के बाद जमा कराये पुरानें नोट लगभग 104 करोड़ रुपया प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उजागर किये जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी की मान्यता तत्काल रद्द किया जाये।
पार्टियों की हो गई चांदी
- उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटबंदी से नेताओं और पार्टियों की चांदी हो गयी।
- यानि एडवांस में पैसा आ रहा है। नियम ऐसा कि पार्टियों से नहीं पूछा जाता कि चंदा कहां से आया।
- इसपर नियंत्रण हो जाये तो काफी कालाधन समाप्त हो जायेगा।
- प्रधानमंत्री नें सराहनीय कदम उठाते हुए अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधियों से नोटबंदी के बाद से अबतक बैंक खाता स्टेटमेंट मंगाया जो अपने जनप्रतिनिधियों को पारदर्शी बतानें की कोशिश है।
- परन्तु कालाधन जमा हो रहा है पार्टियों के खाते में जिसका कई मामला सामने भी आ चुका है।