उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लखनऊ विश्वविद्यालय सहित 165 कॉलेजों में करोड़ों का फीस घोटाला सामने आया है. सेल्फ फाइनेन्स पाठ्यक्रमों में लागू नियमों में फेराफेरी कर एलयू और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने 80 करोड़ का घोटाले को अंजाम दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस मामले की जाँच के आदेश दिए है.
एलयू सहित 165 कॉलेजों में चल रही थी सेल्फ फाइनेंस कोर्स फीस में घपलेबाजी:
गौरतलब है कि निजी संस्थानों में सेल्फ फाइनेंस कोर्स की फीस शासन तय करता है. फीस तय होने तक राज्य विश्वविद्यालय के नियमित पाठ्यक्रम की तरह शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान होना चाहिए. बावजूद इसके एलयू और संबंधित अधिकारियों ने नियमों में हेराफेरी कर के अधिक भुगतान करवा दिया. जिसकी वजह से विभाग को करोड़ों नुकसान हो गया. एक साल में विभाग को 24 करोड़ 7 लाख से अधिक की राजस्व हानि हुई.
पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी एसपी सिंह की नियुक्ति के बाद विश्वविद्यालय और अधिकारियों का ये खेल सामने आया. एसपी सिंह को जब 2017 में इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने इस बारे में डीएम कौशलराज शर्मा को सूचित किया. डीएम ने इस मामले की जांच के तत्काल आदेश दिए जिसके बाद उनके निर्देश पर गठित की गई जांच समिति की रिपोर्ट में घपलेबाजी की पुष्टि हुई. मामले की गंभीरता को देखते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को रिपोर्ट भेजी गई.
बता दे कि यह घपलेबाजी कई सालों से चल रही थी. विकास भवन के अधिकारियों के मुताबिक नियमों को ताक पर रखकर निजी कॉलेजों की झोलियां भरने में संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों की मिलीभगत होने की भी आशंका है.
बहरहाल मंत्री ओमप्रकाश राजभर द्वारा मामले की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंपने के निर्देश दिए हैं. करीब 80 करोड़ रुपए के इस घोटाले के घेरे में 165 कॉलेज के साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन के अधिकारी आए हैं.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक जगदीश प्रसाद को घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराए जाने की जानकारी दी है.