देश भर में हाईकोर्ट और निचली अदालतों में मुकद्दमों की संख्या तेज़ी से बढ़ती ही जा रही है. जिससे सभी अदालतों पर मुकद्दमों के शीघ्र निपटारा करने तथा न्याय देने का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में मुकदमों के इस बढ़ते अंबार को कम करने तथा लोगों को शीघ्र, सुलभ व सस्ता न्याय दिलाए जाने की सबसे अहम ज़िम्मेदारी न्यायिक अधिकारियों की है. इसी कदम में न्यायिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर ने उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में आयोजित राज्य स्तरीय न्यायिक अधिकारी कॉन्फ्रेंस में शनिवार को कहा कि मुकदमों का शीघ्र निपटारा होगा, तब ही आम जनता को न्याय मिल सकेगा.
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आपसी सुलह से मुकदमों के निस्तारण पर अधिक जोर देना चाहिए
- राजधानी की लखनऊ खंडपीठ में राज्य स्तरीय न्यायिक अधिकारी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.
- इस दौरान कॉन्फ्रेंस में मौजूद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एएम खान विलकर ने मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए मध्यस्तता व लोक अदालत सहित अन्य वैकल्पिक उपचारों की बाबत विस्तार से जानकारी दी.
- उन्होंने कहा कि सुलह समझौते से मुकदमों के निस्तारण पर अधिक जोर देना जरूरी है.
- न्यायमूर्ती ने कहा कि इसके लिए मध्यस्तता केंद्रों, लोक अदालतों और प्री लिटिगेशन जैसे उपायों की पूरी जानकारी आम जनता को देना बेहद जरूरी है
- कॉन्फ्रेंस में आम जन में न्याय के प्रति विश्वास, जागरूकता तथा शीघ्र निस्तारण पर भी गहन चर्चा की गई.
- इस दौरान प्रदेश के सभी जिलों से आए न्यायिक अधिकारियों ने भी न्यायपालिका में आने वाली समस्याओं पर विचार रखे.
- कॉन्फ्रेंस में न्यायमूर्ति शबीऊल हसनैन, न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता, न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र, न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय सहित अनेक न्यायमूर्तिगण उपस्थित थे.
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