लखनऊ मेट्रों ने सोमबार को संगठन के प्रबन्ध निर्देशक व आन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में भूमिगत सचिवाल मेट्रों स्टेशन में प्रथम टनलिंग बोरिंग मशिन (टीबीएम) द्वारा टनलिंग अभियान को शुरू कर दिया।
दोनों मशीनों ने नाम रखे गए गंगा व गोमती
- इसी के साथ लखनऊ मेेट्रों के फेस 1 ए (उत्तर दक्षिण काॅरिडोर) के 3.5 कि0मी0 लम्बे सचिवालय, हुसैनगंज व हजरतगंज विभाग में भूमिगत टनलिंग का कार्य निर्धारित समय से पूर्व प्रारम्भ हो गया है।
- यह कार्य अप व डाउन लाइन में एक साथ दो टनलिंग मशिन द्वारा चलेगा।
- दोनों मशिनों के नाम यूपी की दो मुख्य नदियों गंगा व गोमती के नाम पर रखे गये हैं।
- दोनों टीबीएम को दिल्ली से लखनऊ रोड के माध्यम से टुकड़ों में लाया गया हैं।
- जिसके परिवाहन के लिये 24 लो बेड मल्टी एक्सल ट्रेलर की आवश्यकता पड़ी।
- ट्रेलर की सुरक्षित निकासी के सुनिश्चित करने के लिए (खासकर व्यस्त व भीड़-भाड़ के इलाकों जैसे कि पुल, टोल प्लाजा आदि) पहचान किये गये समस्यात्मक हिस्सों में पूर्व मार्ग सर्वेक्षण व जरूरी शमन उपाय आदि पहले ही कर लिए गये थे।
मशीन को ऐसेम्बल करने में लगा आठ माह का समय
- पहली टीबीएम गोमती, जिसको लाॅचिंग शाॅफ्ट के भीतर 18 मी0 गहराई में ऐसेम्बल किया गया है।
- जिसके अप लाइन के लिए आॅपरेशन प्रारम्भ हो गया है।
- वहीं दूसरी टीबीएम ‘गंगा’ ऐसेम्बली के उन्नत पड़ाव पर है व इसके मार्च प्रथम सप्तह में डाउन लाइन में टनलिंग प्रारम्भ करने की सम्भावना है।
- टीबीएम की ऐसेमबली एक जटिल तकनीकी प्रक्रिया है।
लखनऊ-प्रबन्ध निर्देशक व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मेट्रों स्टेशन के प्रथम टनलिंग बोरिंग मशीन द्वारा टनलिंग अभियान की गई शुरुआत! pic.twitter.com/JyurtHVkQ7
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) January 23, 2017
- जिसमें हर एक हिस्सों को 250 टन की क्रेन द्वारा शाॅफ्ट से नीचे ले जाना, सही जगह स्थित करना, आपस में जोड़ना व इलेक्ट्रिक, हाइड्रॉलिक, पानी व ग्राउटिंग आदि के लिए कनेक्शन देना शामिल है।
- लखनऊ में यह पहला टीबीएम प्रोजेक्ट होने के बाद भी, पहले टीबीएम की ऐसेम्बली को काॅन्ट्रेक्ट ‘गुलमार्क’ को देने के समय से समाप्त होने में सिर्फ आठ माह का समय लगा जो कि एक स्वंय में रिकाॅर्ड है।
- क्योंकि अधिकांशतः इस कार्य में साल भर का समय लगता है।
- यह केवल एलएमआरसी के इंजीनियरों व क्रियान्वयन ऐजेंसी की सूक्ष्म योजना व समान्तर कार्यो के क्रियान्वयन से ही सभव हो पाया है।
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