उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रॉजेक्ट ‘लखनऊ मेट्रो’ का दूसरा ट्रेन सेट करीब 1907 किमी का सफर सड़क मार्ग से तय करने के बाद चेन्नई के निकट श्रीसिटी स्थित अल्सटॉम की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से विशेष ट्रेलरों के माध्यम से सड़क मार्ग से होकर शनिवार को ट्रांसपोर्ट नगर डिपो पहुंच गया।
- बता दें कि पहला सेट पिछले वर्ष नवंबर में आया था।
- लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) के जनसंपर्क अधिकारी अमित श्रीवास्तव ने बताया कि लखनऊ में मेट्रो रेल शुरु होने के बाद सड़कों पर यातायात काफी कम हो जायेगा।
- लखनऊ में सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाइपास बना दिए जाने के बावजूद सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
#लखनऊ मेट्रो का दूसरा सेट पहुंचा ट्रांसपोर्ट डिपो pic.twitter.com/m1Oc8jx0Yz
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) March 25, 2017
- इस कारण से यहां मेट्रो का जरुरी था जिसे पिछली सरकार ने पूरा किया।
- बता दें कि 4 नवंबर, 2016 को लखनऊ मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कैबिनेट मंत्री याशर शाह को उत्तर प्रदेश सरकार के लिए पहली मेट्रो ट्रेन की चाबी सौंप दी थी।
- एलएमआरसी पहली मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन भी कर लिया है।
- लखनऊ में जमीन पर एक कि॰मी॰ मेट्रो पर 15 करोड़ रुपये का व्यय आयेगा, वहीं भूमिगत लाइन में यह बढ़कर 27 करोड़ होने की उम्मीद है।
- लखनऊ मेट्रो के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि मेट्रो जल्द दौड़ने लगेगी लेकिन यह अभी टेढ़ी खीर ही नजर आ रही है।
स्पेशल स्प्रेडर का इस्तेमाल
- प्रत्येक ट्रेन में 64 पहियों वाले एक विशेष ट्रेलर पर लोड किया जाता है।
- स्पेशल स्प्रेडर का इस्तेमाल करते हुए 40 टन कारों को अनलोड करने के लिए 180 टन क्रेन का उपयोग किया जाता है।
- एक विशेष सुरक्षा दल ट्रेनों के सुरक्षित उतारने के लिए भी निगरानी करता है।
- सभी चार कारों को अनलोड करने में लगभग 6 घंटे लगते हैं।
- यह दूसरी ट्रेन का इस्तेमाल सिग्नलिंग सिस्टम के परीक्षण के लिए भी किया जाएगा जिसमें कई ट्रेनें चल रही हैं।
- इससे पहले आरडीएसओ ने सफलतापूर्वक लखनऊ मेट्रो के रिकॉर्ड परीक्षण समय से पहले परीक्षण परीक्षण पूरा करने के लिए ऑस्सीलेशन परीक्षण पूरा किया था।
- लाइन पर परीक्षण पूरा होने के बाद, मेट्रो रेलवे सुरक्षा (सीएमआरएस) के आयुक्त को अग्रेषित करने से पहले, आरएसडीएसओ द्वारा परीक्षा के परिणामों की जांच की जाती है।
- सीएमआरएस द्वारा साइट पर अलग-अलग आयोजित निरीक्षण के आधार पर विस्तृत सुरक्षा परीक्षा रिपोर्ट के साथ पूर्ण परीक्षण रिपोर्ट को मंजूरी के लिए रेल मंत्रालय को भेज दिया जाता है।