नगर निगम की मनमर्जी के चलते अब (Atal Bihari Vajpayee name) पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी नगर निगम के वोटर नहीं रहे। नगर निगम जोन-एक के जोनल अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बुधवार को बताया कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है।
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- वाजपेयी बाबू बनारसी दास वार्ड के वोटर थे।
- लखनऊ से लगातार पांच बार सांसद रह चुके 92 साल के अटल बिहारी वाजपेयी धीरे-धीरे नवाबों के इस शहर का पर्याय बन गए।
- हालांकि लखनऊ मध्य सीट से मतदाता संख्या 141 से मतदाता लिस्ट से वाजपेयी का नाम नगर निगम ने हटा दिया है।
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10 सालों से नहीं डाल पाये वोट
- वोटर लिस्ट में बासमंडी स्थित मकान नंबर 92/98-1 (मोहन होटल के बगल में तीन मंजिला राजेंद्र स्मृति भवन जो इस वक्त किसान संघ का कार्यालय है) पर अब तक उनका नाम दर्ज था।
- उनका वोटर क्रमांक 1054 था।
- उन्होंने (Atal Bihari Vajpayee name) आखिरी बार नगर निगम के चुनाव में वर्ष 2000 में वोट डाला था।
- उन्होंने वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कोई वोट नहीं डाला है।
- वाजपेयी 10 साल से शहर में नहीं आए हैं।
- वाजपेयी 1999 से 2004 तक आखिरी बार सांसद रहे थे।
- इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजधानी में अपना वोट डाला था।
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- लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में वह नगर निगम में बने बूथ पर वोट डालने आते थे।
- नगर निगम चुनाव में आखिरी बार वोट उन्होंने पीएम रहते हुए साल 2000 में डाला था।
- शहर में साल 2006 जून में उन्होंने आखिरी सभा डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के मेयर का चुनाव लड़ने के दौरान कपूरथला में उनके पक्ष में की थी।
- मालूम रहे कि निकाय, विधानसभा या लोकसभा चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट के सत्यापन के लिए बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर सर्वे कर वोटर के बारे में जानकारी करता है।
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- तय पते पर वोटर नहीं मिला तो घर में मौजूद लोगों या पड़ोसियों से पूछताछ की जाती है।
- कम से कम तीन बार भौतिक परीक्षण कर बीएलओ सुनिश्चित करता है कि दिए पते पर वोटर रहता है या नहीं।
- यह पुष्टि होने पर कि वोटर फिलहाल दिए पते पर नहीं रह रहा है, उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाता है।
- अटल बिहारी वाजपेयी के समर्थक लखनऊ वासियों का कहना है कि मोदी-योगी के राज में अब अटल जी का कोई महत्त्व नहीं रहा। (Atal Bihari Vajpayee name)
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