लखनऊ में बीते 2 दिनों से शिक्षामित्र अपनी मांगो को लेकर धरने पर है. दूर दूर के जनपदों से हजारों की संख्या में आये शिक्षामित्रों ने सरकार से समान काम, समान वेतन व्यवस्था की मांग की है. शिक्षामित्र काफी बार अपनी मांगो को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंप चुके हैं. सरकार के शिक्षामित्रों के वेतन को कम करने के बाद से ही 500 से ज्यादा शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर चुके हैं.

सरकार ने अड़तीस हजार से घटाकर दस हजार रूपए किया था वेतन:

राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला पार्क में पिछले कई दिनों से लगातार शिक्षामित्रों का धरना बदस्तूर जारी है. शिक्षा मित्रों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें पूरी नही की तो वह सरकार के खिलाफ किसी हद तक जा सकते है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में बी जे पी अगुवाई वाली योगी सरकार ने प्रदेश के समस्त प्राथमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण का कार्य सम्भाल रहे शिक्षामित्रों का वेतन अड़तीस हजार रुपयो से घटाकर दस हजार के भीतर कर दिया था जिससे आक्रोशित शिक्षामित्रों ने योगी सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोलते हुए ताबड़तोड़ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए था. इन शिक्षा मित्रो ने सरकार को शिक्षामित्रों  के अधिकारो को दमन करने वाली सरकार का नाम तक दे डाला है. धरने पर बैठे शिक्षामित्रों का कहना है कि माननीय उच्च न्यायालय ने पिछले फरवरी माह में हम सभी के पक्ष में प्रदेश सरकार को यह आदेस देते हुए कहा है कि एक लाख चौबीस हजार शिक्षामित्रों को अड़तीस हजार रुपये से अधिक वेतन देना सुनुश्चित किया जाए  पर बावजूद इसके प्रदेश सरकार कोर्ट की बात मानने को भी तैयार नही है.

वहीं धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियो ने बताया कि फिलहाल हम लोग लक्ष्मण मेला मैदान में सांकेतिक रूप से चार दिवसीय धरना कर रहे है चूंकि हमे प्रशासन ने धरने के लिए सिर्फ चार दिन की अनुमति दी है. इस बीच यदि प्रशासन ने हमारी सुध नही ली तो हम धरने को आगे भी जारी रखेंगे . बता दे कि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई भी उनसे मिलने नही आया है. लेकिन सभी शिक्षामित्र मुख्यमंत्री योगी को बताना चाहते है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नही मानी तो शिक्षामित्र किसी भी स्तर तक जाने के लिए स्वतंत्र होंगे. जिसकी जिम्मेवारी शासन प्रशासन की होगी.

शिक्षामित्रों मांग है कि प्रशिक्षित अपग्रेड पैराटीचर्स (शिक्षामित्र) को साल के 12 महीने तक अड़तीस हजार आठ सौ अठत्तर रुपये वेतमान  दिया जाए.

62 वर्ष तक शिक्षामित्रों का शिक्षण का कार्यकाल हो तथा म्रतक आश्रित शिक्षामित्रों के परिजनों को जरूरी आर्थिक सहायता देते हुए परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.

शिक्षामित्रों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह मांगे पूरी नही की तो  वे आने वाले समय मे अपनी रणनीति सरकार के समक्ष रखेंगे. जिसकी नैतिक जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी. वही  अंत मे सरकार को चेतवनी देते कहा यदि यह योगी सरकार ने हमारी मागे जल्द पूरी नहीं की तो हम लोग विधानसभा आगे आत्मदाह  लेगे.

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