राजधानी लखनऊ में विकास कार्यक्रमों और योजनाओं की रफ्तार इतनी सुस्त हो चुकी है कि मात्र तीन महीने में ही लखनऊ 39वें पायदान से फिसलकर 64वें पायदान पर आ गया है। यह खुलासा कहीं और नहीं बल्कि सीएम अखिलेश यादव के विकास एजेंडे की समीक्षा रिपोर्ट में हुआ है। राजधानी के अफसर पूरा तरह से नाकाम रहें हैं। लखनऊ के बड़े अफसर जोड़-तोड़ और आईएएस वीक जैसे आयोजनो मेेें इतने मशगूल रहते हैं कि उन्हें राजधानी के विकास कार्यों की कोई परवाह ही नहीं है।
- विकास एजेंडे में सीएम अखिलेश यादव की नाक के नीचे बैठे अफसर पूरा तरह से फेल हो गये हैं।
- शासन की तिमाही समीक्षा रिपोर्ट में लखनऊ फिसड्डी साबित हुआ है।
- तीन महीने पहले जो लखनऊ 39वें पायदान पर था वह अब 64 वें नंबर पर आ गया है।
- मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिलें हैं जिसमें से लखनऊ 64वें पायदान पर है।
- हालत इस कदर बेकाबू हो चले हैं कि अब मात्र 11 जिलें ही राजधानी से पीछे हैं।
हापुड़ पहले नंबर परः
- बता दें कि बांदा, चंदौली और जौनपुर का जैसे जिलों का विकास दर भी लखनऊ से आगे निकल चुका है।
- शासन की समीक्षा रिपोर्ट में हापुड़ पहले नंबर के साथ टॉप पर हैं।
- वहीं, मथुरा दूसरे और चित्रकूट तीसरे स्थान पर काबिज हुए हैं।
- मालूम हो कि, शासन के विकाश एजेंडे की रिपोर्ट 80 बिन्दुओं के साथ बनकर तैयार होती है।
- इससे पहले लखनऊ के अफसर डेंगू के मामले में भी प्रदेश सरकार की फजीहत करा चुके हैं।
- इसके साथ ही राजधानी के विकास कार्यक्रमों और योजनाओं की रफ्तार भी बेहद सुस्त हो गयी है।
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