समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित करने के बाद समाजवादी परिवार में नया विवाद शुरू हो गया है। अपर्णा के समर्थकों की मानें तो वो टिकट वापस कर सकती हैं। उनका कहना है कि जब नेताजी परिवार के अन्य सदस्यों को निश्चित जीत दिलाने के लिए अपने कब्जे वाली सीट से चुनाव लड़ाते हैं तो अपर्णा को ऐसी सीट से क्यों चुनाव लड़वाया जा रहा है जहां से समाजवादी पार्टी का अभी तक खाता भी नहीं खुल सका है।
- इसको लेकर सपा परिवार में घमासान मचा हुआ है।
- सपा सूत्रों की मानें तो अब अपर्णा को सीधे राज्यसभा या विधान परिषद में भेजा जा सकता है।
- राज्यपाल ने एमएलसी के पांच नामों को वापस किया है।
- यह चर्चा इसलिए भी जोर पकड़ रही है क्योंकि राज्यपाल ने विधान परिषद के उन पांच नामों को मुख्यमंत्री के पास वापस विचार करने के लिए भेज दिया है।
- राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा है कि इनमें से कई व्यक्तियों के विरुद्ध अपराधिक मामले है।
- कई ऐसे हैं जो पद के लिए निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करते।
- ये लोग साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन तथा समाज सेवा में से किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं।
- अपर्णा काफी समय से कला और समाजसेवा से जुड़ी हुई हैं।
- और उनको लेकर कोई विवाद भी नहीं है।
- अपर्णा आगरा और लखनऊ के महोत्सव में अपने सुरों का जादू दिखा चुकी हैं।
- ताज महोत्सव में अपर्णा ने छंद और खुसरो के कलाम सुनाए थे।
- जिन्हें सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए थे।
- यही नहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा का प्रचार गीत अपर्णा ने गाया था।
- जिसकी सभी ने तारीफ की थी।
- उनकी इन्हीं खूबियों को आधार बनाकर समाजवादी पार्टी उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित कर सकती है।
- अपर्णा को राज्यसभा भेजने का भी रास्ता खुला है।
- यूपी कोटे से राज्यसभा की 11 सीटों पर 4 जुलाई को चुनाव होने हैं।
- इनमें से 6 सीटें बसपा के पास हैं।
- 3 पर सपा और 1-1 सीट पर कांग्रेस और भाजपा का कब्जा है।
- यूपी विधानसभा में बसपा के सदस्य कम हैं।
- इसलिए बसपा का नुकसान होना तय है।
- राज्यसभा में सपा की ताकत बढ़ेगी।
- यहां भी अपर्णा को आसानी से समायोजित किया जा सकता है।
विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि अपर्णा के व्यवहार से सपा मुखिया को लगा होगा कि वह कहीं भाजपा में ना चली जाएं। इससे पार्टी की और बदनामी होगी। इसको देखते हुए मजबूरी में अपर्णा को विधानसभा का टिकट दिया गया है।