राजधानी के बहुचर्चित बाबूगंज ट्रिपल मर्डर (Triple Murder) और एटीएम कैश लूटकांड केस की फाइल पुलिस ने गुपचुप तरीके से बंद कर दी है। पुलिस ने हाईटेक टेक्नालॉजी और खुफिया तंत्रों का इस्तेमाल कर अलग-अलग प्रांतों के 17 गैंगों को ट्रेस किया।
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- इसके बावजूद बदमाशों को पकड़ना तो दूर वारदात का खुलासा तक नहीं हो सका।
- घटना के शिकार तीन परिवारों के सवालों के जवाब और अफसरों को हर महीने रिपोर्ट देने तक में नाकाम पुलिस ने आखिरकार फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस को बंद कर दिया।
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क्या है पूरा घटनाक्रम?
- गौरतलब है कि 27 फरवरी 2015 को डालीगंज के बाबूगंज स्थित एचडीएफसी बैंक के एटीएम पर दिनदहाड़े हुई वारदात पुलिस के गले की हड्डी बन गई थी।
- एटीएम में कैश भरने गए सिक्योरिटी एजेंसी के तीन कर्मचारियों की हत्या के बाद 51 लाख रुपये लूटकर बदमाश भीड़ के बीच से भाग निकले।
- तत्कालीन आईजी जकी अहमद, डीआईजी आरके चतुर्वेदी और पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव सहित कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची।
- एटीएम बूथ के पास लगे एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में बदमाश नजर आये लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका।
- बदमाशों ने कैश लूटने से पहले सीतापुर निवासी गनमैन अरुण सिंह, अवनीश मिश्रा और अनिल सिंह की गोली मारकर हत्या की थी।
- उनका साथी शैलेंद्र गोलियों की आवाज सुनकर बूथ में बेहोश होकर गिर गया था, जिससे उसकी जान बच गई।
- तेलांगना के नालगोड़ा जिले में 4 अप्रैल 2015 को मुठभेड़ के दौरान सिमी आतंकी एजाजुद्दीन और असलम को पुलिस ने मार गिराया।
- दूसरे दिन तेलांगना पुलिस ने बताया कि दोनों आतंकियों ने ही बाबूगंज में ट्रिपल मर्डर और एटीएम कैश लूटकांड को अंजाम दिया था।
- अफसरों ने भी मामले को उसी दिशा में मोड़ने का प्रयास किया।
- हालांकि मारे गए आतंकियों की बाबूगंज कांड के दौरान लखनऊ में लोकेशन न मिलने से पुलिस की थ्योरी फेल हो गई।
- तहकीकात के लिए तत्कालीन एएसपी क्राइम दिनेश सिंह को तेलांगना भेजा गया लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला।
- कुछ दिनों बाद चौकाने वाला सच सामने आया कि एक जिम्मेदार अफसर ने नालगोड़ा पुलिस से मिलीभगत करके फर्जी खुलासे की योजना बनाई थी।
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कई महीने तक गैंगों को किया ट्रेस
- किसी गिरोह का कनेक्शन घटना से न जुड़ता देख आस-पास के जिलों में बदमाशों की तलाश शुरू की गई।
- अंधेरे में तीर चलाते हुए पुलिस ने तमिलनाडु, तेलांगना, राजस्थान, बंगाल और हरियाणा के गैंगों को ट्रेस किया।
- हरदोई और सीतापुर के दो गैंगों को कई महीने तक ट्रेस किया गया।
- गैंग (Triple Murder) के सदस्यों के फोन कॉल रेकॉर्ड करने के साथ अन्य गतिविधियों पर नजर रखी गई।
- पुलिस ने कुछ को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की।
- इसके बावजूद कोई साक्ष्य न मिलने पर आजमगढ़ के एक सक्रिय गिरोह को निशाने पर लिया गया।
- हालांकि कुछ अधिकारियों ने ही गैंग के पीछे लगने को समय की बर्बादी बताते हुए विरोध शुरू कर दिया।
- इसे लेकर क्राइम ब्रांच और अफसरों में बहस शुरु हो गई।
- विरोध के चलते छानबीन में जुटे पुलिसकर्मियों ने आखिरकार किनारा कस लिया।
- पुलिस को तीन साल बाद भी कोई सफलता नहीं मिल सकी तो फ़ाइनल रिपोर्ट लगानी पड़ी।
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इस संबंध में एएसपी ट्रांसगोमती हरेंद्र यादव ने बताया कि बदमाशों तक पहुंचने के लिए कई गैंगों को ट्रेस किया गया। एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीम ने कई महीनों तक अलग-अलग प्रांतों के सक्रिय गैंगों पर नजर रखी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। लंबी मियाद के बाद केस का खुलासा न होने की वजह से (Triple Murder)फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।
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