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लखनऊ विवि में आयोजित ‘गुरु वंदन कार्यक्रम’ में शामिल हुए मंत्री महेंद्र सिंह

Lucknow University organized Guru Vandan Program

बीते दिन लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘गुरु वंदन कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने करवाया. इस कार्यक्रम में राज्य मंत्री डा० महेन्द्र सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इसके साथ ही  उच्च शिक्षा प्रभारी डा० महेन्द्र कुमार सहित राष्ट्रीय सहसंगठन के मंत्री ओमपाल सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. 

मंत्री महेंद्र सिंह भी हुए शामिल:

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने की. वहीं विश्वविद्यालय इकाई की अध्यक्षा डॉ० किरन लता डंगवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वल्लित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

Lucknow University organized Guru Vandan Program

लखनऊ विश्वविद्यालय के जे० के० सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा० महेन्द्र सिंह ने कहा कि गुरुजन वास्तव में राष्ट्र निर्माता होते है. नई पीढ़ी के भविष्य को सवांरना और उनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण भावना पैदा करना गुरु का ही उत्तरदायित्व होता है.

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने किया कार्यक्रम का आयोजन:

उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन का मुख्य कर्तव्य नैतिक मूल्यों की पहचान करना है जोकि गुरु के बिना असंभव है। गुरुजन का आदर और सम्मान करने वाली पीढियां ही सदैव विकास के पथ पर अग्रसर हुई हैं।

कार्यक्रम के दौरान ओमपाल सिंह ने गुरु की महिमा के बारे में बात करते हुए कहा कि गुरुजन अपने शिष्यों के भूत वर्तमान और भविष्य तीनों समय काल के चिन्तक होते हैं. गुरु के उपकारों का बदला शिष्य किसी भी मूल्य पर नहीं चुका सकता है. किसी भी व्यक्ति की सफलताओं के पीछे उसके गुरुजनों की प्रेरणा, प्रोत्साहन और सही मार्गदर्शन एक बड़ा कारण होता है ।

वहीं उच्च शिक्षा प्रभारी डा० महेन्द्र कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु का अभिप्राय केवल एक औपचारिक प्रशिक्षण देने वाला शिक्षक नहीं बल्कि व्यक्ति के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

लखनऊ विवि के कुलपति ने बताया गुरु का महत्व:

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० एस० पी० सिंह ने कहा कि समय के बदलते परिवेश में एक तरफ जहाँ शिक्षकों का उत्तरदायित्व तो बढ़ा है लेकिन इस आधुनिक युग में शिक्षण कौशल की गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ गुरु और शिष्य की परंपरा में और भी प्रगाढ़ता लाने की जरुरत है।

गुरु और शिष्य के बीच केवल शाब्दिक ज्ञान का आदान प्रदान ही नहीं होता है बल्कि शिष्यों का गुरुजन के प्रति अगाध श्रद्धा और समर्पण गुरुजनो को एक संरक्षक और एक हितैषी के रूप में प्रस्तुत करता है, जो प्रत्येक कदम पर हमेशा अपने शिष्यों के लिए “परंपरा प्राप्तम योग” के अनुसरण में चिंतित दिखाई देता है ।

इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने इस ‘गुरु वंदन कार्यक्रम’ में अपने अपने विचार रखे. कार्यक्रम में डॉ० डी के सिंह, डॉ० संदीप बालियान, डॉ० रजनीश यादव, डाo संध्या यादव, डॉ सुषमा मिश्रा, डॉ अल्का मिश्रा समेत विश्वविद्यालय के कई शिक्षक, शोधार्थी और छात्र उपस्थित रहे.

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