महिलाओं के बिना कोई क्रांति (Womens contribution) नहीं हो सकती। आजादी की लड़ाई में महिलाओं का अहम योगदान रहा है। हमें समावेशी राष्ट्रवाद चाहिए, जो सबको साथ लेकर चल सके। यह विचार लेखक नदीम हसनैन ने संगीत नाटक अकेडमी के वाल्मीकि सभागार में हुई गोष्ठी में व्यक्त किए।
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- कैप्टन लक्ष्मी सहगल की स्मृति में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की ओर से ‘मिथ्या राष्ट्रवाद और हमारी विरासत’ विषय पर गोष्ठी हुई।
- इस मौके पर पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई।
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राष्ट्रवाद और देश भक्ति का बांट रहे सर्टिफिकेट
- संगोष्ठी का संचालन करते हुए एडवा की मधू गर्ग ने कहा कि आज जब देश बेहद खतरनाक दौर से गुजर रहा है।
- ऐसे में वे लोग राष्ट्रवाद और देश भक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं।
- जिन्होने आजादी की लड़ाई में योगदान नहीं दिया।
- जब इतिहास को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है तब जरूरी हो जाता है कि हम अपनी गौरवशाली विरासत को जाने और देशभक्ति की वीरंगनाओं से प्रेरणा लें।
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- जिन्होने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी की व बाद में मजदूर-किसान आंदोलन से जुड़ीं। इस मौके पर प्रो. रुपरेखा वर्मा ने भी विचार रखे।
- कार्यक्रम में कैप्टन लक्ष्मी सहगल समेत 50 वीरांगनाओं के पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रो. रुपरेखा वर्मा ने किया।
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- प्रदर्शनी में देश भर की स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं का पोस्टर डिस्प्ले किया गया।
- इनमें कल्पना दत्ता, मुल्लू स्वराज्यम, पापा उमानाथ, हाजरा बेगम, सुगना, अरुणा आसफ अली, गीता मुखर्जी, अहिल्या रंगणेकर, विमला रणदिवे, कैप्टन लक्ष्मी सहगल आदि के पोस्टर शामिल रहे।