जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दलितों पर राजनीति गरमाती जा रही है. प्रदेश में सभी दल दलितों के हितैषी बनने में लगे हुए हैं, चाहे वो योगी सरकार हो या पूर्व की सपा सरकार. इन दिनों किसी भी सार्वजनिक मंच से भाजपा और सपा नेताओं के भाषण में दलित उत्थान, दलितों का फायदा, दलित का हित सुनना आम हो गया हैं. लेकिन चुनाव के नजदीक आते ही दलित राग गाने वाले सच में कितने गंभीर हैं, इसका पता तो आंबेडकर और कांशीराम की उन टूटी मूर्तियों को देख कर लगता हैं, जिन्हें uttarpradesh.org रिपोर्टर के कैमरे ने कैद किया.
सालों से सड़ रही महापुरुषों की मूर्तियाँ:
इस साल का आंबेडकर जयंती तो याद ही होगी. हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाने वाली आंबेडकर जयंती इस बार कुछ ज्यादा ही ख़ास रही. महीने भर पहले से हर राजनीतिक दल के नेतृत्व ने आंबेडकर जयंती को बड़े स्तर पर मनाने के निर्देश दिए.
हर साल यहीं होता हैं, महापुरुषों की जयंती आती हैं. सत्ताधारी दल हो या अन्य राजनीतिक दल उस ख़ास दिन पर महापुरुषों को याद करते हैं और अगले ही दिन भूल जाते हैं.
[hvp-video url=”https://www.youtube.com/watch?v=ZSYMbCOrDSI&feature=youtu.be” poster=”https://www.uttarpradesh.org/wp-content/uploads/2018/06/BeFunky-collage-4.jpg” controls=”true” autoplay=”true” loop=”true” muted=”false” ytcontrol=”true”][/hvp-video]
आंबेडकर जयंती की ही बात ले ले, जयंती के दिन आंबेडकर प्रतिमा को साफ़ किया जाता हैं, उनका माल्यार्पण किया जाता हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां दलित राजनीति करते हुए उन सभी जगहों पर जाकर माल्यार्पण करतीं हैं, फोटो खिंचवाते हैं और अगले दिन भूल जाते हैं और जब वोट बैंक की बात आती है तो आंबेडकर फिर से जीवित हो जाते हैं.
करोड़ों की कीमत की थीं मूर्तियाँ:
ऐसे ही एक मंजर पिछले दिनों लखनऊ के संगीत नाटक एकेडमी में देखने को मिला, जहां पर तकरीबन 10 साल से आदमकद मूर्तियों को सड़ने के लिए छोड़ दिया गया. यह मूर्तियां सालों से लकड़ी के ताबूत में पड़ी पड़ी खराब हो रही थी.
उसके बाद उन्हें उठाकर संगीत नाटक अकादमी के पास झाड़ियों में फेंक दिया गया, जहां पर अब ये मूर्तियाँ कूड़ा बन चुकी हैं.
ये बर्बाद हो चुकी मूर्तियाँ कोई आम मूर्तियाँ नहीं बल्कि दलितों के लिए पूजनीय आंबेडकर और कांशीराम की हैं. इतना ही नहीं ये करोड़ों के खर्च से बनी मूर्तियाँ अब इस हालत में हैं कि कमजोर दिल का इंसान देख ले तो खौफजदा हो जाये.
ये मूर्तियाँ 2012 से पहले प्रदेश की मायावती सरकार के समय की हैं. जो उन दिनों राजधानी में लगनी थीं.
लकड़ी के ताबूतों में बंद ये 11 मूर्तियाँ पिछले कई सालों से राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित संगीत नाट्य अकेडमी के पार्किंग स्थल पर पड़ी थी जिसके बाद उन्हें उठाकर उन्हें झंडियों के बीच जंगल में डाल दिया गया.
जिनमें से मूर्तियां कई सालों से झाड़ियों के बीच दबे हुए क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव रामजी आंबेडकर, महात्मा गौतम बुद्ध और तमाम दलित महापुरुषों की मूर्तियां लगनी थी लेकिन करोड़ों की इन मूर्तियों पर अब मकड़ियों ने जाला बुन रखा है.
इन प्रतिमाओं में महात्मा गौतम बुद्ध की मूर्ति का बॉक्स पूरी तरह से टूट चुका है, जिससे मूर्ति अब जमीन पर पड़ी हुई है, वहीं मूर्ति को तिरपाल से ढक कर छुपाया गया है.
पहले ही मूर्तियों को अखिलेश सरकार के दौरान संगीत नाटक एकेडमी के कैंपस में, जहां पर तमाम तरह के सरकारी प्रोग्राम के साथ कल्चरल प्रोग्राम भी होते हैं, रखा गया.
लेकिन हमारे पत्रकार के खुलासे के बाद और मीडिया में इन मूर्तियों की जर्जर हालत की खबर सुर्खियाँ बनने के बाद इन्हें जंगलों में पहुंचा दिया गया.
मरीन ड्राइव के पास लगनी थी मूर्तियाँ:
गौरतलब हैं कि इन मूर्तियाँ को गोमतीनगर के मरीन ड्राइव कहे जाने वाले रूट पर लगाया जाना था . इन मूर्तियों के लिए 25 बूथ बनाये गये थे. जिनमे से 13 मूर्तियों को फिट कर दिया गया था. वहीँ 1 दर्जन मूर्तियों की जगह खाली पड़ी हुई हैं. जो मूर्तियाँ वहां लगनी थी वहीं मूर्तियाँ संगीत नाटक अकेडमी में बाद में रखवा दी गईं.
इन मूर्तियों में महात्मा और महापुरुषों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की भी मूर्ति थी जो 26 जुलाई को मायावती की मूर्ति टूटने के बाद लगाया जा चुका है और टूटी मूर्ती को वही SNA में ढक कर रख दिया गया है जिसका सर गायब है .
सपा नेता ने तुड़वा दी थी मायावती की मूर्ति:
एक तरफ माला तो दूसरी तरफ रस्सी:
इन महापुरुषों की प्रतिमाओं की हो रही जर्जर हालत:
अकेडमी को भी नहीं थी जानकारी:
करोड़ों रुपये मूर्ति ना लगने से बर्बाद:
कार्रवाई का इंतज़ार:
2008 में मायावती की मूर्ति तोड़े जाने के बाद काफी हंगामा हुआ. मामला सुर्ख़ियों में आया और मुद्दा बन गया. मूर्ति तोड़ने वालो के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा भी चल रहा हैं. लेकिन इन महा पुरुषों की प्रतिमाओं की ये हालत देख कर सवाल उठाना लाज़मी हैं कि एक तो करोडो का नुकसान करने वाले और दूसरा महापुरुषों की प्रतिमाओं के साथ इस तरह के व्यवहार पर कौन और किसके खिलाफ कार्रवाई करता हैं?