उत्तर प्रदेश सरकार पीढ़ी-दर-पीढ़ी जंगलों के बीच जीवन यापन कर रहे वनटांगिया समुदाय के बच्चों के लिए आश्रम पद्धति विद्यालय खोलेगी। इसके लिए जनजातीय कल्याण निदेशालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है। आश्रम पद्धति स्कूलों में बच्चों के पढ़ने रहने और भोजन का इंतजाम भी सरकार करेगी। इससे विकास से अछूते हजारों परिवारों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
दरअसल अंग्रेजों ने जंगलों में काम करने के लिए विभिन्न जातियों और इलाकों के लोगों को वहां बसाया था। बाद में इनकी पहचान वनटांगिया के तौर पर होने लगी। जानकारों का कहना है कि टांगिया शब्द म्यांमार के टोंगिया शब्द का अपभ्रंश है। वहां इस शब्द का प्रयोग पहाड़ या खेत के लिए होता है। इसलिए भारत में भी बनो में रहकर पेड़-पौधों और पहाड़ों की सुरक्षा करने वालों को वन टांगिया कहा गया है। यह परिवारजनों में रहकर यायावर की जिंदगी जी रहे हैं।
गोंडा में वन टंगिया के 4 गांव बुटाहिनी, अशरफाबाद, मनीपुर ग्रांट और रामगढ़ में कुल 112 परिवार रहते हैं। महाराजगंज में उनके परिवारों की संख्या 7182 और गोरखपुर में 455 है। इसके अलावा अन्य जिलों के वन प्रभागों में इनकी संख्या का पता कराया जा रहा है। योगी सरकार ने महाराजगंज गोरखपुर और गोंडा में वनटांगिया ग्रामों को राजस्व ग्रामों का दर्जा दे दिया है। अब तक राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। इसके साथ ही वन टंगिया परिवारों के बच्चों के लिए आश्रम पद्धति विद्यालय खोलने का प्रस्ताव भी तैयार करवाया जा रहा है।