अमित शाह कह चुके है कि उनकी पार्टी आरक्षण नहीं हटाएगी और ना ही किसी को हटाने देगी. उसके बाद भी उह बीजेपी का दलितों के साथ भेदभाव ही है कि दलितों की नाराजगी भाजपा के प्रति बढती ही जा रही है. ख़ास कर एसटी/एससी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में देश भर में हुए दलित आंदोलन के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढती ही जा रही है. ऐसा लगता है के खुद उनकी ही पार्टी के दलित नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यही वजह है कि अब तक छार दलित नेताओं ने प्रधानमन्त्री को खत लिख कर असंतुष्टि जताई है.
सांसद यशवंत सिंह ने भी लिखा पीएम को खत:
भाजपा के छोटेलाल खरवार, सावित्री बाई फुले, अशोक दोहरे के बाद एक और सांसद ने बीजेपी सरकार पर दलितों के लिए कोई काम नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद यशवंत सिंह तीसरे ऐसे दलित सांसद हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई.
सिंह ने अपनी चिट्ठी में कहा है, ‘दलित होने की वजह से मेरी क्षमताओं का इस्तेमाल नहीं किया गया. मैं केवल दलित होने की वजह से सांसद बना.’ प्रधानमन्त्री को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा है, “मैं दलित समाज के जाटव समाज का सांसद हूं. आरक्षण के कारण ही मैं सांसद बन पाया हूँ. ” उन्होंने लिखा, “मैं समझता हूं कि आरक्षण के कारण ही मुझे सांसद बनने का अवसर मिला है और मेरी योग्यता का उपयोग ही नहीं हो पाया.”
मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “पिछले चार सालों में सरकार ने देश के 30 करोड़ दलितों के लिए कोई काम नहीं किया.”
चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि सरकार के कार्यकाल के दौरान अभी तक बैकलॉग पूरा करना, आऱक्षण बिल पास करना और प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण का प्रबंध किए जाने की दिशा में कुछ नहीं किया गया.