2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हराने के लिये उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की जमीन तैयार हो रही है। राजनैतिक दलों में इससे होने वाले नफा-नुकसान का आँकलन शुरू हो गया है। मीडिया जगत के कई बड़े पत्रकारों का मानना है कि महागठबंधन के बाद यूपी के हालात निश्चित रूप से बदलेंगे। यही कारण है कि चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भाजपाई अभी से जुट गए हैं। इसकी शुरुआत करते हुए भाजपा के लिए मुरादाबाद मंडल की चारों सीटों पर लोकसभा चुनाव में चुनौतियां नजर आ रही हैं। इन सीटों के परिणाम निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए हैरान कर देने वाले हो सकते हैं।
मुरादाबाद :
2009 के लोकसभा चुनाव में यहाँ से कांग्रेस के मुहम्मद अजहरुद्दीन चुनाव जीते थे और भाजपा के सर्वेश कुमार सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे। महागठबंधन की स्थिति में भाजपा जीत के दावे करे लेकिन सियासत में कद्दावर अहमियत रखने वाला उम्मीदवार उलटफेर कर दे तो बड़ी बात नहीं होगी। हालांकि मौजूदा दौर में मुरादाबाद लोस क्षेत्र से सांसद सर्वेश कुमार सिंह के अलावा भाजपा के तीन विधायक भी हैं जो राजनीति की दिशा मोड़ सकते हैं।
रामपुर :
रामपुर लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस, सपा और बसपा समर्थित प्रत्याशी जीतते रहे हैं। वर्तमान में यहाँ से भाजपा के डॉ. नैपाल सिंह सांसद हैं। इससे पहले सपा से जयाप्रदा और कांग्रेस से बेगम नूरबानो सांसद रह चुकी हैं। नवाब परिवार कांग्रेस का खास है जिसका इलाके में काफी प्रभाव है। ऐसे में गठबंधन के बाद इस सीट पर नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
अमरोहा :
मंडल की इस लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा से कंवर सिंह तंवर सांसद हैं। इसके पहले चेतन चौहान, देवेंद्र नागपाल यहाँ से सांसद रह चुके हैं। साथ ही सपा से प्रताप सिंह सैनी भी चेतन चौहान को चुनाव हरा चुके हैं। वर्तमान में चेतन चौहान उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। इस सीट के लिए विपक्षी पार्टियां गठबंधन के बाद अपने पत्ते खोल सकती हैं।
संभल :
यूपी की संभल लोकसभा सीट पर हमेशा से ही सपा का कब्जा रहा है लेकिन 2014 में मोदी लहर में यहाँ से सतपाल सैनी सांसद बने थे। इस दिग्गज सीट से सपा के प्रो. रामगोपाल सिंह यादव, मुलायम सिंह यादव भी सांसद रह चुके हैं। गठबंधन होने पर ये सीट भाजपा के हाथ से निकल भी सकती है।