गांधी जी का नाम लेते ही लोगों के मन अहिंसा का चरित्र उभरकर सामने आता है। अहिंसा के बल पर ही गांधी जी ने अंग्रेजों की चूलें हिला दी थी। गांधी जी ने जिस शराब को पूरे जीवन पाप और अत्याचार की जननी माना उन्हीं के नाम से बने भवन में आबकारी विभाग द्वारा शराब की ठेकेदारी के लिए ई-टेंडर की नीलामी की गई। आबकारी विभाग द्वारा बापू के नाम पर बने इस प्रेक्षागृह में बापू के विचारों की इस तरह हत्या किया जाना निन्दनीय है।

बता दें कि लखनऊ के केसरबाग स्थित गांधी भवन में सोमवार को ई-लाॅटरी के माध्यम से शराब व मॉडल शॉप के ठेके बांटे गए। बापू के नाम पर बने प्रेक्षागृह में हर साल कई गोष्ठियां होती हैं। गांधी भवन पर शराब से बचने का स्लोगन भी लिखा हुआ है। इसी गांधी भवन के मेन गेट के पास ही लगे विशाल बोर्ड पर लिखा है, ‘शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि यह पाप और अत्याचारों की जननी है।’ बापू के विचारों को आबकारी विभाग के इस तरह से रौंदना एक निन्दनीय कार्य है। गांधीवादी विचारधारा को राजधानी में इस तरह से रौंद दिया गया। क्या आबकारी विभाग को और कोई जगह नहीं मिली कि शराब की ठेकेदारी की नीलामी करा सके।

क्या इस मामले में होगी कार्रवाई

अब देखने वाली बात होगी कि क्या बापू के विचारों को रौंदने वालों पर कार्रवाई होगी या नहीं। गांधी जी अपने पूरे जीवन नशे का विरोध करते रहे और उन्हीं के नाम पर बने गांधी भवन में देसी शराब के ठेके बांटे गए। आखिर किस अधिकारी ने गांधी भवन का नाम सुझाया था। बता दें कि इस भवन में कई स्थानों पर बापू के कई स्लोगन लिखें हैं जिसमें शराब को खराब बताया गया है।

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