भ्रष्टाचार एक ऐसा घुन है जो आजकल बख्शी का तालाब विकासखंड में लग गया है। सरकारें आती हैं और चली जाती है। कोई भी ऐसी योजना नहीं जिसमें कहीं विकास के नाम पर तो कहीं योजना के नाम पर भ्रष्टाचारी अपना तांडव दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। प्रधानमंत्री की सबसे कारगर योजना स्वच्छ भारत अभियान योगी सरकार के ही अधिकारी योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं।
शौचमुक्त योजना को विफल करने में जुटे ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव
ओडीएफ मिशन में ईमानदारी से तफ्तीश की जाए तो सबसे बड़ी बीकेटी ब्लॉक फिसड्डी नजर आएगी। कहीं शौचालय के नाम पर तो योजना के नाम पर खेल यहां अधिकारियों ने खेल किया है। ओडीएफ को मजाक बनाकर रख दिया अधिकारियों ने। झोपड़पट्टी वालों को शौचालय जरूरी नहीं समझा तो कहीं पर वोट ना देने की वजह से प्रधानों ने अनदेखी कर दी। स्वच्छता मिशन को रफ्तार देने के लिए बख्शी का तालाब विकासखण्ड के 103 ग्राम पंचायतों सहित राजधानी के सभी 570 गांवों को खुले में शौचमुक्त करने की प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों को ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव ही विफल करने में लगे हैं।
वाहवाही लूटने में जुटे अधिकारी
प्रदेश के जिलों के उन तमाम गांवो की हम क्या बात करें जब राजधानी के ही आठों विकासखण्डों के 570 गांवों में ही खुले में शौचमुक्त गावों की हालत खस्ता है। दो अक्टूबर तक सूबे के प्रत्येक गांव को ओडीएफ घोषित करने के सरकार की घोषणा को राजधानी के अफसर अमली जामा कैसे पहनाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है। हम राजधानी के सामान्य गांवों की क्या बात करें जब अब तक सांसदों द्वारा गोद लिए गए आदर्श गाव ही खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त नहीं हो पाए हैं। स्वच्छता मिशन के तहत बीकेटी विकासखण्ड क्षेत्र के कई गांव अधिकारियों द्वारा वाहवाही लूटने के चक्कर में ओडीएफ घोषित कर दिये गए। लेकिन ओडीएफ घोषित गांव अब तक खुले में शौच मुक्त हो नहीं पाये हैं।
प्रधान व सचिवों को नोटिस जारी कर जवाब तलब
वहीं, शौचालयों के निर्माण के लिए शासन द्वारा धन उपलब्ध कराए जाने के बाद भी ग्राम प्रधानों एवं सचिवों द्वारा लापरवाही बरती गई। जिसमें डीपीआरओ प्रदीप कुमार द्वारा बीकेटी की ग्राम पंचायत धिनोहरी व मंडौली सहित राजधानी की नौ ग्राम पंचायतों के प्रधान व सचिवों को नोटिस जारी कर जवाब तलब भी किया गया है। लेकिन उसके बावजूद भी गांवों में शौचालयों का निर्माण कार्य सुस्त है। जब खातों में धन पहुँचने के बाद भी गांवों को खुले में शौचमुक्त करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है। तो ऐसे में दो अक्टूबर तक राजधानी के गांवों को खुले में शौच के अभिशाप से कैसे मुक्त किया जा सकता है।
अफसरों के सामने कठिन चुनौती
राजधानी में 570 ग्राम पंचायतों में करीब 900 गांव और मजरे हैं। इसी तरह शहरी क्षेत्र जो नगर निगम की सीमा में है, उसमें 110 वार्ड हैं। केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद स्वच्छता अभियान को लेकर तेजी भले ही आई हो, लेकिन यह है कि गावों को खुले में शौच मुक्त करने की दिशा में प्रगति बहुत धीमी है। राजधानी में अब तक केवल पचास गांव ही खुले में शौच मुक्त घोषित हुए हैं। अब जब सरकार ने ओडीएफ की डेड लाइन तय कर दी है अफसरों के सामने कठिन चुनौती है। सात महीनों में 500 से अधिक ग्राम पंचायतों को ओडीएफ करना है, जो अफसरों के लिए आसान नहीं होगा।
पंचायत सचिवों को सौंपी गई जिम्मेदारी
सीएम की घोषणा होते ही प्रशासन हरकत में आया है। दो अक्टूबर तक जिले के 570 गांवों को ओडीएफ बनाने के लिए ग्राम सचिवों को जिम्मा सौंपा गया है। जिला पंचायत राज अधिकारी प्रदीप कुमार के मुताबिक एक सचिव को कम से कम चार गावों को ओडीएफ घोषित कराने का जिम्मा दिया गया है। शौचालय के लिए बजट सीधा ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा, जहां से पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
ग्राम पंचायत किशनपुर के शौचालयों में धन का गोलमाल
राजधानी लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत किशनपुर खण्ड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान रामप्रकाश शौचालयों के निर्माण के लिए शासन से आये धन के आपसी बन्दरबांट के चलते स्वच्छता अभियान को पलीता लगाते हुए ग्राम पंचायत में बनाये जा रहे शौचालयों में पीली ईंटों एवं घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। धनराशि लाभार्थियों के खातो में न भेजकर ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा लाभार्थियों से बेयरर चेक पर हस्ताक्षर करवाकर खुलेआम शौचालयों के धन का गोलमाल किया जा रहा है। शिकायतों के बाद भी खंड विकास अधिकारी उक्त प्रकरण में कार्रवाई करने के बजाय ग्राम प्रधान व सचिव का खुला सहयोग कर रहे हैं। जिससे अधिकारियों के प्रति ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
ग्राम पंचायत में होना है 150 शौचालयों का निर्माण
स्वच्छता अभियान के तहत ग्राम पंचायत में 150 शौचालयों का निर्माण होना है। इन शौचालयों के निर्माण का कार्य भी तेजी से शुरू हो चुका है। लेकिन खण्ड विकास अधिकारी, सचिव व ग्राम प्रधान की खाऊ कमाऊ नीति के आगे गांव में स्वच्छता अभियान परवान चढ़ नहीं पा रहा है। बल्कि स्वच्छता अभियान को गति देने वाले ही जिम्मेदार अभियान को पलीता लगाने में अग्रसर है।
लाभार्थी किरण पत्नी स्वर्गीय केशव मौर्य तथा यतींद्र कुमार पुत्र खुरई व गयादीन पुत्र मंगल, नन्हा पुत्र शंतनु उमा देवी पत्नी शिवचरण संतोषी पत्नी विनोद, माया पत्नी मनोहर ने बताया कि खण्ड विकास अधिकारी, सचिव व प्रधान ने आपसी सांठ गांठ कर शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थियों के खाते में सीधे धन न भेजकर प्रधान निर्माण का ठेका स्वयं लेकर लाभर्थियों से बेयरर चेक पर हस्ताक्षर करवाकर घटिया निर्माण सामग्री व पीली ईंट से शौचालयों का निर्माण करवा रहे हैं।
मानक के विपरीत करवाये जा रहे शौचालयों की शिकायत खण्ड विकास अधिकारी से की गई। लेकिन उन्होंने आज तक न तो जांच ही की और न कोई कार्रवाई ही की। जबकि शौचालयों के निर्माण के लिए धन सीधे लाभार्थी के खाते में आना चाहिए। लेकिन प्रधान और सचिव की संलिप्तता के चलते शौचालयों के निर्माण के लिए लाभार्थी के खातों में धन नहीं आया है। शौचालयों का निर्माण कार्य प्रधान द्वारा मानकों के विपरीत मनमाने तरीके से शुरू कर दिया गया है। स्वच्छता मिशन की धज्जियां उड़ाते हुए ब्लाक स्तरीय अधिकारी लोग केवल अपनी फोटो खिंचवाने के अलावा स्वच्छता मिशन को अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं।
दूसरी तरफ ग्राम पंचायत रामप्रकाश प्रधान के द्वारा बनाए जा रहे शौचालय में घटिया सामग्री व जीरो मटेरियल का प्रयोग करते हुए 10 दिन के अंदर ही शौचालय गिर गए। ग्रामीणों का आरोप है सरकार की तरफ से आने वाले 12000 हजार रुपये शौचालय के प्रधान व सचिव के द्वारा किसी भी लाभार्थी के खातों में नहीं दिया गया। बल्कि उसका बंदरबांट आपस में किया गया। कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया तो अरविंद सिंह प्रधान ने धमकी दी। ग्रामीणों ने बताया कि जो मिल रहा है वहीं लो इससे ज्यादा के चक्कर में मत पड़ो। ग्राम पंचायत किशनपुर के द्वारा दी गई शिकायत में कई लाभार्थियों ने अपने अंगूठा लगाए।
हाथ लगाने पर गिर रहा मसाला
बने हुए शौचालय में हाथ मारने पर मसाला गिर रहा है। इसकी जानकारी जब स्थानीय पत्रकारों को हुई तो वह मौके पर रियलिटी चेक करने पहुंचे। रिपोर्टर ने खुद जाकर ली जानकारी उसी दौरान रिपोर्टर को भी धमकाया। खबर छपी भ्रष्टाचारियों ने तो जान से मारने की धमकी भी दे डाली। बताया जा रहा है कि निर्माण में मौरंग का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। बालू लगाकर शौचालय को बनाया गया। ग्राम पंचायत में 10 दिन पूर्व बने शौचालयों में से 5 शौचालय अपने आप गिर गए। बीकेटी उप जिलाधिकारी ने बताया कि जांच कर उचित कार्रवाई कराई जाएगी। ऐसी गड़बड़ी पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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