मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने संविधान के पन्ने में बाबा साहब का डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से हस्ताक्षर शामिल होने का हवाला देते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के बीच में ‘रामजी’ जोड़ दिया। सरकार ने डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम बदलकर ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ करने के लिए बुधवार को सभी विभागों और इलाहाबाद-लखनऊ की सभी हाई कोर्ट की बेंचों को आदेश दिया है। प्रमुख सचिव द्वारा जारी आदेश के बाद यूपी के सभी राजकीय अभिलेखों में अब संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम के साथ ‘राम जी’ जोड़ दिया जाएगा।
राज्यपाल रामनाईक ने दिसंबर 2017 में शुरू की थी पहल
इस संबंध में बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा के निदेशक डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने बताया कि इस कैंपेन को राज्यपाल राम नाईक ने दिसंबर 2017 में शुरू किया था। राम नाईक ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर आंबेडकर के नाम का सही उच्चारण और सही नाम लिखने के लिए ध्यान आकृष्ट कराया था। प्रमुख सचिव के द्वारा जारी किये गए आदेश के अनुसार भारत के संविधान की अष्टम अनुसूची (अनुच्छेद-344(1)और-351) भाषाएं में ‘डॉ. भीमराव आंबेडकर’ का नाम ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ अंकित है।
बाबा साहब के पिता का नाम था ‘रामजी’
लालजी प्रसाद ने बताया कि, बाबा साहब के पिता का नाम रामजी था। महाराष्ट्र में पुरानी परंपरा के आधार पर पिता का नाम बेटे मध्य नाम के लिए इस्तेमाल करते आए हैं। ‘मुख्य बिंदु यह है कि उनके नाम का सही उच्चारण होना चाहिए। अंग्रेजी में उनके नाम की स्पेलिंग सही है लेकिन हिंदी में उनके नाम की स्पेलिंग बदलनी होगी और इसे अंबेडकर न लिखकर ‘आंबेडकर’ लिखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने उनके नाम का सही उच्चारण किया है जो संविधान में दर्ज हस्ताक्षर के आधार पर है।
आठवीं अनुसूची की मूल प्रति के आधार पर सही किया गया नाम
प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग जीतेंद्र कुमार की ओर से बुधवार को यह शासनादेश जारी कर दिया गया है। इसके लिए संविधान की आठवीं अनुसूची की मूल प्रति को आधार बनाया गया जहां ‘डॉ. भीमराव आंबेडकर’ के स्थान पर ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ के रूप में हस्ताक्षर सम्मिलित हैं। आपको बता दें कि 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती भी है, ऐसे में समय के लिहाज से सरकार के इस आदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं। प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने सरकार को संविधान की आठवीं अनुसूची की मूल प्रति के संलग्नक की छाया प्रति भेजी थी जिसमें बाबा साहब ने अपने हस्ताक्षर करते हुए डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा है।
आगरा स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय पहले ही दे चुका निर्देश
राज्यपाल ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा था कि बाबा साहब का नाम गलत लिखा जा रहा है। इसे सही किया जाए। इसके बाद शासनादेश जारी करके सरकारी अभिलेखों में उनका नाम डॉ. भीम रामजी आंबेडकर लिखने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि आगरा स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के नाम में अंबेडकर की जगह आंबेडकर लिखने के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। फिलहाल विपक्षी इसे आगामी लोकसभा चुनाव 2019 से जोड़कर राजनीति गरम करने लग गए हैं।