उत्तर प्रदेश वन विभाग (UP Forest Department) राज्य के वन्य जीवन, जंगलों और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत है। यह विभाग वन संपदा की सुरक्षा, अवैध कटाई रोकने, वन्य जीवों के संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में, वन विभाग ने टोल फ्री नंबर / हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, ताकि आम नागरिक वन्य जीवों से जुड़ी समस्याओं, अवैध शिकार या वनों की कटाई की सूचना तुरंत दे सकें।
उत्तर प्रदेश वन विभाग हेल्पलाइन नंबर / टोल फ्री नंबर
वन विभाग ने कई टोल फ्री नंबर / हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिन पर नागरिक वन्य जीवों, अवैध शिकार, वन अपराध या अन्य आपात स्थितियों की सूचना दे सकते हैं।
मुख्य टोल फ्री नंबर / हेल्पलाइन नंबर:
- वन विभाग आपातकालीन हेल्पलाइन:
- 1800-180-5145 (टोल-फ्री)
- 0522-2215835 (लखनऊ हेडक्वार्टर)
- वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB):
- 1800-11-8756 (वन्य जीव तस्करी रोकथाम हेल्पलाइन)
- टाइगर रिजर्व हेल्पलाइन (दुधवा नेशनल पार्क):
- 05872-252106
- राज्य स्तरीय वन्य जीव हेल्पलाइन:
- 9415133733
मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से शिकायत दर्ज करें:
- “UP Forest” ऐप (गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें)
- “Himmat” ऐप (वन्य जीव अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए)
हेल्पलाइन नंबर का उपयोग कब करें?
निम्नलिखित स्थितियों में आप उत्तर प्रदेश वन विभाग हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं:
- वन्य जीवों (बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू आदि) के आवास में घुसपैठ या संघर्ष की स्थिति।
- अवैध वन कटाई या पेड़ों की तस्करी की जानकारी।
- वन्य जीवों के अवैध शिकार या तस्करी का पता चलने पर।
- जंगल में आग लगने या अन्य प्राकृतिक आपदा की सूचना।
- वन विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार या लापरवाही की शिकायत।
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हेल्पलाइन नंबर का महत्व
- त्वरित कार्रवाई: हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत कार्यवाही करती है।
- वन्य जीव संरक्षण: अवैध शिकार और तस्करी रोकने में मदद मिलती है।
- जन जागरूकता: आम लोगों को वन और वन्य जीवों के प्रति जिम्मेदार बनाता है।
- आपातकालीन सहायता: जंगली जानवरों के आबादी क्षेत्र में आने पर तुरंत मदद मिलती है।
उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर राज्य के वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आपको कभी भी वन या वन्य जीवों से जुड़ी कोई समस्या दिखाई दे, तो इन नंबरों पर तुरंत संपर्क करें। इससे न केवल प्रकृति की रक्षा होगी, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी कम किया जा सकेगा।
“वन हमारे हैं, इनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी!”
अधिक अपडेट्स के लिए UP Forest Department की आधिकारिक वेबसाइट देखें।