राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में मरीजों की सेहत कैसे लगातार खिलवाड़ जारी है। अभी एक दिन पहले ही वार्ड बॉय ने 10 मरीजों को गलत तरीके से इंजेक्शन लगा दिया था इससे उनकी तबियत बिगड़ गयी थी। ये मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अस्पताल की ओटी में एक्सपायर्ड इंजेक्शन मिलने से हड़कंप मच गया। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही उजागर होने के बाद भी जिम्मेदार इस पर पर्दा डालने में तुले हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, बलरामपुर अस्पताल की न्यू बिल्डिंग के तीसरे तल पर बनी ओटी की मेडिसन टेबल पर एनेस्थीसिया लिग्नोकेन एंड एड्रीनलीन और डोब्यूटामाइन के एक्सपायर्ड इंजेक्शन मिले। इनमे एनेस्थीसिया का बीते जून और डोब्यूटामाइन का इंजेक्शन 1 साल पहले एक्सपायर हो हो चुका था। आरोप है कि इसके बावजूद उसका इस्तेमाल किया जा रहा था डॉक्टर के मुताबिक, डोब्यूटामाइन इंजेक्शन मरीज का ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में दिया जाता है। वही एनेस्थीसिया ऑपरेशन से पहले बेहोशी के लिए क्या दिया जाता है।
बलरामपुर अस्पताल की न्यू बिल्डिंग में हर रोज 10 से 12 मरीजों के ऑपरेशन होते हैं। यहां की आर्थो ओटी में एक्सपायर्ड इंजेक्शन रखे मिले। अस्पताल के सीएमएस डॉ ऋषि सक्सेना ने बताया कि अस्पताल में दवाओं की एक्सपायरी डेट आने से पहले उसे प्रयोग में लिया जाता है। जो बच जाती है उन्हें नष्ट कर दिया जाता है। ऐसे में ओटी में एक्सपायर्ड इंजेक्शन मिलना का मामला बड़ा है इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी जिम्मेदार मिला उस पर कार्यवाही की जाएगी। लेकिन बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने कहा कि हमारे यहां इंजेक्शन नहीं मिले।
बलरामपुर अस्पताल में इंजेक्शन लगाने के बाद बिगड़ी मरीज माहे आलम की हालत में शुक्रवार को भी सुधार नहीं हुआ। यही नहीं स्टाफ ने मरीज को आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया। कुछ देर बाद ही मरीज को तेज बुखार चढ़ने लगा और हालत बिगड़ने लगी तीमारदारों की शिकायत और हंगामे के बाद मरीज को दोबारा आईसीयू में भर्ती किया गया।
गौरतलब है कि बलरामपुर अस्पताल में गुरुवार सुबह इंजेक्शन लगाने के बाद 10 मरीजों की तबीयत बिगड़ गई थी। तीमारदारों का आरोप है कि वार्ड बॉय ने गलत इंजेक्शन लगा दिया। जिसके बाद इन लोगों को उल्टी और कंपकंपी के साथ बुखार आ गया। इंजेक्शन लगाने के बाद मरीज की हालत बिगड़ने के मामला हो या फिर अब एक्सपायर्ड इंजेक्शन मिलने का अस्पताल प्रशासन का उदासीन रवैया मरीजों पर भारी पड़ सकता है। जिम्मेदार उचित कार्यवाही के बजाय मामले की लीपा पोती करने में जुटे हैं।