राजधानी लखनऊ में एक युवक द्वारा चालक का मजहब देखकर ओला कैब की बुकिंग निरस्त किए जाने का मामला सोशल मीडिया में बहस का विषय बन गया है। ट्विटर अकाउंट पर छिड़ी इस जंग पर ओला ने सफाई देते हुए कहा है कि वह भारत की तरह ही सेक्युलर प्लेटफार्म है। वह अपने ड्राइवर्स और कस्टमर्स में जाति, धर्म, लिंग या पंथ के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है।
घटनाक्रम के अनुसार, लखनऊ में अभिषेक मिश्र नामक एक ओला कस्टमर ने कुछ दिन पहले कैब को इसलिए निरस्त कर दिया था, क्योंकि कैब का ड्राइवर एक समुदाय विशेष से था। इसके बाद अभिषेक ने निरस्त की गई कैब से जुड़ा एक स्क्रीनशॉट ट्विटर पर साझा किया। इसमें लिखा गया था कि वह अपने पैसे जिहादियों को नहीं देना चाहता है। अभिषेक का ट्वीट वायरल होने के बाद ओला ने तुरंत इस पर सफाई दी और ओला को एक धर्मनिरपेक्ष प्लेटफार्म करार देते हुए प्रतिक्रिया दी। ट्विटर पर छिड़ी इस जंग के जवाब में ओला कैब ने कहा कि हम अपने सभी ग्राहकों और ड्राइवर्स से आग्रह करते हैं कि वे एक-दूसरे से सम्मान के साथ व्यवहार करें।
ट्विटर पर छिड़ी बहस, रेशमी का ट्वीट से उठा विवाद
अभिषेक के ट्विटर अकाउंट को देखने से पता चलता है कि उसने ओला कैब रद करने का कदम बेंगलुरु की रेशमी आर नायर की उस फेसबुक पोस्ट के जवाब में उठाया था, जिसमें रेशमी ने रुद्र और हनुमान के पोस्टर वाली कैब में ट्रैवल न करने की बात कही थी। रेशमी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा था, मैं रेप टेररिज़म को बढ़ावा देने के लिए और रेपिस्टों का पेट भरने के लिए अपना पैसा नहीं दूंगी।