आज संसद में पेश बजट पर बसपा सप्रीमो मायावती ने गतवर्षों की तरह ही केवल लच्छेदार बातों वाला छलावा व ग़रीब-विरोधी एवं धन्नासेठ-समर्थक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अपनी जुमलेबाजी बन्द करके तथ्यों व तर्कों के आधार पर यह जरूर बताना चाहिये कि कहाँ है वह अच्छे दिन जिसका वायदा उन्होंने देश की सवा सौ करोड़ जनता से सीना तानकर चुनाव के समय किया था और अगर ऐसा नहीं हैं तो अपने भ्रामक व वादाख़िलाफी के लिये उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिये।
केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने बयान में कहा कि केवल अलंकृत भाषणों व लच्छेदार बातों से ग़रीबों व मेहनतकश जनता का पेट नहीं भरने वाला है, बल्कि मोदी सरकार द्वारा अब तक जो भी दावे किये गये हैं या फिर जितने भी वायदे किये गये हैं उस सम्बन्ध में एक जिम्मेदार व जवाबदेह सरकार की तरह उनकी सत्यता का वास्तविकताओं का लेखा-जोखा भी जनता की संतुष्टि के लिये जरूर ही बताना चाहिये, जो कि अबतक नहीं किया गया है और केवल हवा-हवाई बयानबाजी ही की गयी है।
साथ ही आज जो बजट मोदी सरकार ने संसद में पेश किया है। वह वास्तविक भारत के हितों की रक्षा करने वाला बजट नहीं है। क्योंकि आज असली युवा व ग्रामीण भारत को सबसे ज़्यादा सम्मानजनक जीवन जीने के लिये उसकी अपनी क्षमता के अनुसार बेहतर रोजगार के अवसर मुहैया कराने की ज़रूरत है। “पकौड़ा बेचकर” रोज़गार अर्जित करने के सरकारी सुझाव की नहीं है। करोड़ों शिक्षित बेरोज़गार लोग बहुत ही मजबूरी में पहले से ही पकौड़ा व चाय बेचने वाला काम कर रहे हैं, जो कि उनकी कौशलता के हिसाब से बिल्कुल भी सही व न्यायोचित नहीं है। यह मोदी सरकार की विफलता का जीता-जागता प्रमाण है।
वास्तव में मोदी सरकार की अबतक जो प्राथमिकताएं रहीं हैं। वह ख़ासकर देश के करोड़ों ग़रीबों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हितों को साधने वाली कतई नहीं रही हैं और यही कारण है कि विकास के जो दावे सरकार द्वारा किये जाते रहे हैं। उसका थोड़ा भी लाभ इन वर्गों के लोगों को नहीं मिल पाया है। जिस कारण अमीरों व ग़रीबों के बीच की पहले से मौजूद खाई लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। इससे समाज उद्वेलित व तनाव में है। साथ ही यह सरकार की पूरी प्राथमिकताओं व दावों की पोल भी खोलता है।
आम बजट 2018: जनता ने नकारा कहा- सरकार ने दिया केवल लॉलीपॉप